Class 12th Hindi Medium वाणिज्यिक व्यवस्था और संचालन पाठ 2 solution
स्वाध्याय ( excess )
1 . निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसन्द करके लिखिए :
प्रश्न 1. संचालन के सिद्धान्त अर्थात् क्या ?
(A) अनुभव का निचोड़ है ।
(B) संचालक निश्चित करते हैं ।
(C) प्रयोग से निश्चित होते है ।
(D) मैनेजर निश्चित करते है ।
उत्तर :
(A) अनुभव का निचोड़ है ।
प्रश्न 2. इनमें से कौन-से परिबल में परिवर्तन के कारण संचालन के सिद्धान्तों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता उत्पन्न होती है ?
(A) सम्पत्तियों में परिवर्तन
(B) पूँजी में परिवर्तन
(C) टेक्नोलोजी में परिवर्तन
(D) संचालकों में परिवर्तन
उत्तर :
(C) टेक्नोलोजी में परिवर्तन
प्रश्न 3. वैज्ञानिक संचालन की विचारधारा के प्रणेता कौन हैं ?
(A) ल्युथर ग्युलिक
(B) फ्रेडरिक टेलर
(C) हेनरी फेयोल
(D) पीटर एफ. ड्रकर
उत्तर :
(B) फ्रेडरिक टेलर
प्रश्न 4. 19वीं शताब्दी के अन्त तक में जो विचारधाराएँ प्रस्तुत हुई हैं उन्हें कौनसी विचारधाराएँ कहते हैं ?
(A) नवीन पारंपरिक
(B) पूर्व पारंपरिक
(C) पारंपरिक
(D) आधुनिक
उत्तर :
(C) पारंपरिक
प्रश्न 5. नवीन पारंपरिक विचारधारा के प्रणेता कौन थे ?
(A) हर्जबर्ग
(B) हेनरी फेयोल
(C) फ्रेडरिक टेलर
(D) एल्टन मेयो
उत्तर :
(D) एल्टन मेयो
प्रश्न 6. तुम अपने कर्मचारियों का ध्यान रखो, वे शेष बातों का ध्यान तुम्हारे लिए रखेंगे ।’ – यह कथन किसने दिया था ?
(A) एफ. डबल्यु. टेलर
(B) प्रो. डर्विक
(C) आर्गरिस
(D) पीटर एफ. ड्रकर
उत्तर :
(B) प्रो. डर्विक
प्रश्न 7. इनमें से कौनसे संचालन शास्त्री का योगदान आधुनिक विचारधारा में रहा है ?
(A) सी. के. प्रहलाद
(B) एल्टन मेयो
(C) मेक्स वेबर
(D) हेनरी गेन्ट
उत्तर :
(A) सी. के. प्रहलाद
प्रश्न 8. संचालन के सामान्य सिद्धान्त प्रस्तुतकर्ता कौन थे ?
(A) फ्रेडरिक टेलर
(B) पीटर एफ. ड्रकर
(C) हेनरी फेयोल
(D) चेस्टर बर्नाड
उत्तर :
(C) हेनरी फेयोल
प्रश्न 9. किसी भी कार्य में से गलत दिशा में होनेवाले अनावश्यक हलनचलन में से उत्पन्न होनेवाले नुकसान को दूर करने की पद्धति अर्थात् क्या ?
(A) समय निरीक्षण
(B) गति निरीक्षण
(C) भिन्न वेतन दर
(D) कर्मचारी निरीक्षण
उत्तर :
(B) गति निरीक्षण
प्रश्न 10. ध्येयलक्षी संचालन के सिद्धान्त के प्रणेता कौन थे ?
(A) पीटर एफ. ड्रकर
(B) फ्रेडरिक टेलर
(C) हेनरी फेयो
(D) मेक्स वेबर
उत्तर :
(A) पीटर एफ. ड्रकर
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए ।
प्रश्न 1: संचालन के सिद्धान्त किसे कहते हैं?
उत्तर: संचालन के सिद्धान्त वे नियम और प्रथाएँ हैं जो एक व्यवसायिक इकाई में मानव व्यवहार को संगठित और निर्देशित करने के लिए बनाये जाते हैं। इन सिद्धान्तों का उद्देश्य व्यवसाय के लक्ष्यों की प्राप्ति को सरल और प्रभावी बनाना है। ये सिद्धान्त संगठन के विभिन्न पहलुओं को समन्वित करते हैं ताकि सभी गतिविधियाँ सामंजस्यपूर्ण रूप से चल सकें और लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिल सके।
प्रश्न 2: समय निरीक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर: समय निरीक्षण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें किसी कार्य को पूरा करने में लगने वाले समय का अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन विभिन्न कार्यों के हिस्सों को पूरा करने के लिए आवश्यक समय का विश्लेषण करता है। इसका उद्देश्य कार्य दक्षता को बढ़ाना और समय प्रबंधन को बेहतर बनाना है ताकि उत्पादकता में सुधार हो सके।
प्रश्न 3: आदेश की एकरूपता किसे कहते हैं?
उत्तर: आदेश की एकरूपता का मतलब है कि किसी कार्य या विभाग के कर्मचारी केवल एक ही अधिकारी को रिपोर्ट करें और उससे ही आदेश प्राप्त करें। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारियों को स्पष्ट और एकरूप दिशा-निर्देश मिलें, जिससे भ्रम और कार्य में अव्यवस्था न हो। यह संगठन में स्पष्टता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करता है।
प्रश्न 4: संचालन विचारधाराएँ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: संचालन विचारधाराएँ विभिन्न संचालनशास्त्रियों द्वारा प्रस्तुत किए गए सिद्धान्त और मत हैं। इन विचारधाराओं में अलग-अलग दृष्टिकोण और सिद्धान्त शामिल होते हैं, जो संचालन के विभिन्न पहलुओं को समझाने और बेहतर बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। संचालन विचारधाराएँ संगठन के संचालन को प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ और सिद्धान्त प्रदान करती हैं।
प्रश्न 5: वर्तन व्यवहार सम्बन्धित विचारधाराओं में कौन-कौन से ख्यालों का समावेश होता है?
उत्तर: वर्तन व्यवहार सम्बन्धित विचारधाराओं में मानव संबंधों, अभिप्रेरण, नेतृत्व, औद्योगिक विवादों का समाधान, और सूचना संचार प्रक्रिया जैसे विभिन्न ख्यालों का समावेश होता है। ये विचारधाराएँ संगठन के भीतर मानवीय व्यवहार और संबंधों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से बनाई जाती हैं ताकि कार्यस्थल पर एक सकारात्मक और उत्पादक वातावरण स्थापित हो सके।
प्रश्न 6: आधुनिक विचारधारा का संचालन के अन्य कौन से विषयों के साथ अनुबन्ध है?
उत्तर: आधुनिक संचालन विचारधाराएँ मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, आँकड़ा विज्ञान, गणित, और कम्प्युटर-इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे विषयों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई हैं। ये अनुबंध संगठन के संचालन को अधिक वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जिससे संचालन में नवाचार और दक्षता बढ़ती है।
प्रश्न 7: 'Rule of Thumb' किसे कहते हैं?
उत्तर: 'Rule of Thumb' एक परंपरागत कार्य पद्धति को दर्शाता है जिसमें श्रमिक बिना किसी वैज्ञानिक आधार के, केवल अनुभव और आज्ञा के अनुसार कार्य करते थे। यह तरीका मालिकों के वर्चस्व और दबाव के कारण प्रचलित था, जहां श्रमिकों को नियम और प्रक्रिया की गहन समझ के बिना ही कार्य करना होता था।
प्रश्न 8: धन्धाकीय संचालन में सामान्यतः कितने वर्ग महत्त्वपूर्ण हैं? व कौन-कौन से?
उत्तर: धन्धाकीय संचालन में सामान्यतः दो वर्ग महत्त्वपूर्ण होते हैं:
1. मालिक वर्ग
2. कर्मचारी वर्ग
ये दोनों वर्ग संचालन के विभिन्न पहलुओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनके बीच का तालमेल व्यवसाय की सफलता के लिए आवश्यक होता है।
प्रश्न 9: मालिक वर्ग तथा कर्मचारी वर्ग को किसमें अधिक रुचि होती है?
उत्तर: मालिक वर्ग का मुख्य उद्देश्य लाभ और संपत्ति का अधिकतमकरण होता है, जबकि कर्मचारी वर्ग अधिक वेतन और कार्य संतोष में अधिक रुचि रखता है। इन दोनों के हितों का संतुलन बनाए रखना संगठन के प्रभावी संचालन के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 10: फ्रेडरिक टेलर का पूरा नाम बताइए।
उत्तर: फ्रेडरिक टेलर का पूरा नाम फ्रेडरिक विन्सलो टेलर है। वे वैज्ञानिक संचालन के अग्रणी और प्रभावशाली विचारक थे।
प्रश्न 11: वैज्ञानिक संचालन के पिता कौन कहलाए हैं?
उत्तर: फ्रेडरिक टेलर को वैज्ञानिक संचालन के पिता कहा जाता है। उन्होंने संचालन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सिद्धांत और विधियाँ विकसित कीं।
प्रश्न 12: फ्रेडरिक विन्सलो टेलर कौन थे?
उत्तर: फ्रेडरिक विन्सलो टेलर एक अमेरिकी मिकेनिकल इंजीनियर थे। उन्होंने वैज्ञानिक संचालन के सिद्धांतों को विकसित और प्रचारित किया, जिससे औद्योगिक उत्पादन और कार्यप्रणाली में क्रांति आई।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।
प्रश्न 1: वैज्ञानिक संचालन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: वैज्ञानिक संचालन का अर्थ है किसी भी विशेष इकाई या कारखाने में कर्मचारियों और प्रबंधन के दृष्टिकोण में पूरी मानसिक क्रांति। यह दृष्टिकोण काम के प्रति, जिम्मेदारियों के प्रति, सहकर्मियों के प्रति, और प्रबंधन के प्रति पूर्ण मानसिक क्रांति की आवश्यकता पर जोर देता है। वैज्ञानिक संचालन का मुख्य उद्देश्य कार्यप्रणाली को अधिक कुशल, प्रभावी और उत्पादक बनाना है। यह विधि काम के तरीकों को मानकीकृत करने, काम के समय और गति का अध्ययन करने, और कार्य विभाजन को बेहतर बनाने पर आधारित है। फ्रेडरिक टेलर ने इसे विकसित किया ताकि श्रमिकों और प्रबंधकों दोनों के प्रयासों को बेहतर समन्वित किया जा सके, जिससे उत्पादन में वृद्धि और कार्यस्थल पर संतोष बढ़ सके।
प्रश्न 2: समानता का सिद्धान्त क्या सूचित करता है?
उत्तर: समानता का सिद्धान्त इस बात पर बल देता है कि कर्मचारी किसी उत्पादन प्रक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं और वे जीवित व्यक्ति होते हैं, जिनके साथ व्यवहार करते समय व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक होता है। प्रत्येक कर्मचारी के साथ समानता और न्याय का व्यवहार करना महत्वपूर्ण है। औपचारिक दृष्टिकोण से अधिक, कभी-कभी अनौपचारिक दृष्टिकोण अपनाने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। यह सिद्धान्त बताता है कि कर्मचारियों के साथ उचित और समान व्यवहार से उनके काम के प्रति निष्ठा, विश्वास, और सकारात्मक मनोवृत्ति विकसित होती है। इसके परिणामस्वरूप प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच बेहतर सामंजस्य और सहयोग स्थापित होता है, जो अंततः उत्पादन और संगठनात्मक सफलता में योगदान देता है।
प्रश्न 3: संचालन के सिद्धान्त परिवर्तनशील हैं। समझाइए।
उत्तर: संचालन के सिद्धान्त परिवर्तनशील होते हैं, अर्थात वे समय और परिस्थिति के अनुसार बदल सकते हैं। यह कथन सत्य है क्योंकि संचालन के सिद्धान्त स्थिर और अपरिवर्तनीय नहीं होते। जब भी प्रबंधन को आवश्यकता महसूस होती है या जब परिस्थिति मांग करती है, तो संचालन के सिद्धान्तों में परिवर्तन किया जा सकता है। यह लचीलापन सुनिश्चित करता है कि सिद्धान्त वर्तमान परिस्थितियों और संगठन की जरूरतों के साथ सामंजस्य बैठा सकें। यदि कोई सिद्धान्त अमुक परिस्थिति में लागू नहीं हो सकता, तो प्रबंधन को उसमें आवश्यक परिवर्तन करने की स्वतंत्रता होती है। इसलिए कहा जा सकता है कि संचालन के सिद्धान्त स्थायी नहीं बल्कि परिवर्तनशील हैं, जो प्रबंधन को अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाते हैं।
प्रश्न 4: हेनरी फेयोल ने औद्योगिक साहस की प्रवृत्तियों को कौन-से छ भागों में बाँटा गया है?
उत्तर: हेनरी फेयोल ने औद्योगिक साहस की प्रवृत्तियों को छह प्रमुख भागों में विभाजित किया है, जो इस प्रकार हैं:
1. टेक्नीकल प्रवृत्तियाँ: इसमें कारखाने, यंत्र और उत्पादन से संबंधित गतिविधियाँ शामिल हैं। यह प्रवृत्ति उत्पादन के तकनीकी पहलुओं को संभालने और सुधारने पर केंद्रित है।
2. वाणिज्य प्रवृत्तियाँ: इसमें क्रय, विक्रय और विनिमय की गतिविधियाँ आती हैं। यह प्रवृत्ति व्यापारिक लेन-देन, बाजार संबंधी कार्यों और सामान के आदान-प्रदान पर केंद्रित है।
3. वित्तीय प्रवृत्तियाँ: इसमें वित्त की प्राप्ति, वित्त का उपयोग और वित्तीय निवेश की सुरक्षा शामिल है। यह प्रवृत्ति संगठन के वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन और उनकी सुरक्षा पर जोर देती है।
4. संरक्षण प्रवृत्तियाँ: इसमें कर्मचारियों की सुरक्षा, संपत्ति और माल-सामान की सुरक्षा शामिल है। यह प्रवृत्ति संगठन के भौतिक और मानव संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
5. हिसाबी प्रवृत्तियाँ: इसमें हिसाब-किताब के पत्रक और आवश्यक सांख्यिकीय जानकारी का प्रबंधन शामिल है। यह प्रवृत्ति वित्तीय लेखा और डेटा प्रबंधन पर जोर देती है।
6. संचालकीय प्रवृत्तियाँ: इसमें आयोजन, व्यवस्थातंत्र, मार्गदर्शन, कर्मचारी व्यवस्था, संकलन, और नियंत्रण शामिल हैं। यह प्रवृत्ति संगठन के समग्र प्रबंधन और संचालन पर केंद्रित है।
प्रश्न 5: 'Rule of Thumb' किसे कहते हैं?
उत्तर: 'Rule of Thumb' एक पारंपरिक कार्य पद्धति है जिसमें श्रमिक बिना किसी वैज्ञानिक आधार के केवल अपने अनुभव और मालिकों के आदेश के अनुसार काम करते थे। इस पद्धति के अंतर्गत श्रमिकों को अपने कार्य को पूरा करने के लिए कोई विशिष्ट मानक या दिशा-निर्देश नहीं दिए जाते थे। यह तरीका मुख्यतः मालिकों के वर्चस्व और जबरदस्ती पर आधारित था, जहां श्रमिकों को नियमों और प्रक्रियाओं की गहन समझ के बिना ही काम करना होता था।
प्रश्न 6: आदेश की एकरूपता का सिद्धान्त समझाइए।
उत्तर: आदेश की एकरूपता का सिद्धान्त यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को केवल एक ही अधिकारी से आदेश मिलें और वे उसी अधिकारी के प्रति जवाबदेह हों। इस सिद्धान्त के अनुसार, प्रत्येक कर्मचारी को एक ही व्यक्ति से निर्देश प्राप्त होते हैं, जिससे आदेश प्राप्त करने में कोई भ्रम या विरोधाभास नहीं होता। यदि कई अधिकारी एक साथ आदेश देने लगें, तो कर्मचारियों के लिए यह निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है कि किसके आदेश का पालन करें। आदेश की एकरूपता का सिद्धान्त संगठन में स्पष्टता और अनुशासन सुनिश्चित करता है, जिससे कर्मचारियों को स्पष्ट और सुसंगत दिशा-निर्देश मिलते हैं और कार्य में कोई रुकावट नहीं आती।
प्रश्न 7: टेलर की भिन्न वेतन दर की पद्धति के बारे में समझाइए।
उत्तर: टेलर की भिन्न वेतन दर की पद्धति एक वेतन प्रणाली है जो कर्मचारियों को उनके कार्य प्रदर्शन के आधार पर भिन्न-भिन्न वेतन देने की सिफारिश करती है। इस पद्धति का उद्देश्य कर्मचारियों को उनके काम के समय और कार्यकुशलता के अनुसार उचित प्रोत्साहन देना है। टेलर का मानना था कि प्रत्येक कर्मचारी की कार्य क्षमता अलग-अलग होती है, इसलिए जो कर्मचारी अधिक कार्यकुशलता से काम करते हैं, उन्हें अधिक वेतन मिलना चाहिए और जो कम कार्यकुशलता से काम करते हैं, उन्हें कम वेतन मिलना चाहिए। इस पद्धति के तहत, उच्च उत्पादन करने वाले कर्मचारियों को अधिक प्रोत्साहन वेतन दिया जाता है ताकि वे और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकें। इससे संगठन की उत्पादकता में वृद्धि होती है और कर्मचारियों को उनकी क्षमता के अनुसार उचित पारिश्रमिक मिलता है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के मुद्दासर उत्तर लिखिए ।
प्रश्न 1: संचालन के सिद्धांतों का महत्त्व समझाइए।
उत्तर: संचालन के सिद्धांतों का महत्त्व निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है:
1. कार्यक्षमता में वृद्धि: संचालन के सिद्धांत संचालकों को विभिन्न परिस्थितियों में कार्य करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। ये सिद्धांत धन्धाकीय इकाई की कार्य पद्धति को सुधारने में मदद करते हैं, जिससे संचालन की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई संगठन उत्पादन प्रक्रियाओं में संचालन के सिद्धांतों का पालन करता है, तो इससे समय की बचत, लागत में कमी और उत्पादकता में वृद्धि होती है।
2. संसाधनों का महत्तम उपयोग तथा प्रभावशाली प्रशासन: संचालन के सिद्धांत संसाधनों के अधिकतम उपयोग की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। ये सिद्धांत संचालकों को कम से कम खर्च में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के तरीके बताते हैं। संचालन के सिद्धांत संचालकों को उनके निर्णयों का कारण और प्रभाव समझने का अवसर देते हैं, जिससे प्रयासों और त्रुटियों से होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक प्रभावी इन्वेंटरी प्रबंधन प्रणाली संसाधनों के महत्तम उपयोग को सुनिश्चित करती है।
3. वैज्ञानिक तथा तार्किक निर्णयों के लिए उपयोगी: संचालन के सिद्धांत संचालकों को पक्षपात, भेदभाव और पूर्वाग्रह से मुक्त होकर सही समय पर उचित निर्णय लेने में मदद करते हैं। ये सिद्धांत तर्कसंगत और वैज्ञानिक आधार पर निर्णय लेने को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे संगठन के निर्णय अधिक प्रभावी और न्यायसंगत होते हैं। उदाहरण के लिए, एक वैज्ञानिक भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सबसे योग्य उम्मीदवार का चयन किया जाए।
4. बदलती हुई परिस्थितियों के अनुरूप धन्धाकीय पर्यावरण का सामना करने में उपयोगी: संचालन के सिद्धांत आमतौर पर मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन बदलती हुई परिस्थितियों में ये सिद्धांत धन्धाकीय पर्यावरण का सामना करने के लिए आवश्यक होते हैं। ये सिद्धांत संगठन को बदलती परिस्थितियों में समायोजित करने और नवीनीकरण में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, बाजार की नई मांगों को पूरा करने के लिए उत्पादन प्रक्रियाओं में आवश्यक बदलाव करना।
5. सामाजिक जिम्मेदारी निभाना: संचालन के सिद्धांत संगठन को उनकी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने में मदद करते हैं। जबकि लाभ कमाना एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, समाज के विकास और उन्नति को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। संचालन के सिद्धांतों के प्रभावी अमल से संगठन सामाजिक दायित्वों को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक संगठन पर्यावरण संरक्षण के लिए संचालन के सिद्धांतों का पालन करके सामाजिक जिम्मेदारी निभा सकता है।
6. संशोधन, प्रशिक्षण तथा विकास में सहायक: संचालन के सिद्धांतों का उपयोग प्रशिक्षण, शिक्षण और विकास के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विभिन्न धन्धाकीय इकाइयों में भर्ती के लिए अभिरूचि कसौटी का प्रयोग संचालन के सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है। यह प्रक्रिया संगठन को योग्य और कुशल कर्मचारी नियुक्त करने में मदद करती है, जिससे संगठन की समग्र उत्पादकता और कार्यक्षमता में सुधार होता है। उदाहरण के लिए, नए कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालन के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं, जिससे कर्मचारियों को उनके कार्य में कुशल बनाया जा सके।
इस प्रकार, संचालन के सिद्धांत संगठन के समग्र विकास और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 2: आधुनिक विचारधारा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: आधुनिक विचारधारा (Thoughts of Modern Management) का उदय 1960 के पश्चात् हुआ, जब उद्योगों और धन्धाकीय इकाइयों के स्वरूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन आने लगे। इन परिवर्तनों के कारण संचालन के विशेष अभिगम की आवश्यकता उत्पन्न हुई। आधुनिक विचारधारा में संचालन के सिद्धांतों को नए दृष्टिकोण से देखने की पहल की गई, जिसमें विभिन्न अन्य विज्ञानों और तकनीकों का समावेश किया गया।
मुख्य विशेषताएँ:
1. मनोविज्ञान और समाजशास्त्र का उपयोग: संचालन के साथ-साथ मनोविज्ञान और समाजशास्त्र के सिद्धांतों का उपयोग कर्मचारियों की बेहतर समझ और प्रबंधन के लिए किया जाने लगा। इन विज्ञानों के माध्यम से कर्मचारियों की प्रेरणा, व्यवहार, और समूह गतिशीलता को समझा जा सकता है।
2. आँकड़ाशास्त्र और गणितशास्त्र: संचालन के निर्णयों को अधिक तार्किक और वैज्ञानिक बनाने के लिए आँकड़ाशास्त्र और गणितशास्त्र का उपयोग किया गया। ये विज्ञान विभिन्न सांख्यिकीय और गणितीय मॉडल और विधियों के माध्यम से समस्याओं का विश्लेषण और समाधान प्रदान करते हैं।
3. कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी (I.T.): कंप्यूटर और I.T. के उपयोग ने संचालन के विभिन्न कार्यों को स्वचालित और कुशल बना दिया। डेटा प्रबंधन, संचार, और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख योगदानकर्ता:
- कुन्टज, ओडोनेल, और जॉर्ज आर. टेरी : इन संचालन शास्त्रियों ने आधुनिक विचारधारा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके सिद्धांत और मॉडल संचालन को अधिक प्रभावी और वैज्ञानिक बनाने में सहायक रहे।
- पीटर एफ. ड्रकर : उन्हें 'मैनजमेंट के पिता' के रूप में जाना जाता है। उनके विचारों ने आधुनिक प्रबंधन की नींव रखी और उन्होंने संगठनों को बदलती दुनिया के साथ तालमेल बिठाने के लिए नए दृष्टिकोण प्रदान किए।
- विलियम ओची: उनके 'थ्योरी जेड' ने जापानी प्रबंधन शैली और पश्चिमी प्रबंधन शैली के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास किया।
- सी. के. प्रहलाद: उन्होंने 'कोर कॉम्पिटेंसी' और 'बॉटम ऑफ द पिरामिड' जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों का प्रतिपादन किया, जो आधुनिक प्रबंधन के महत्वपूर्ण अंग बन गए।
इन सबके संयुक्त प्रयासों से आधुनिक विचारधारा का विकास हुआ, जो आज के संगठनों को तेजी से बदलते कारोबारी परिवेश में सफल होने में मदद करता है।
प्रश्न 3: ‘संचालन के सिद्धान्त यह मानव व्यवहार पर आधारित है’ विधान समझाइए।
उत्तर: ‘संचालन के सिद्धान्त यह मानव व्यवहार पर आधारित है’ यह विधान सत्य है, और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। संचालन के सिद्धांतों का प्रभावी अमल तभी संभव है जब मानव व्यवहार को ध्यान में रखा जाए। यह इसलिए क्योंकि संचालन में मानव ही केन्द्रस्थ भूमिका में होते हैं, और उनकी कार्यशैली, व्यवहार, और मानसिकता इन सिद्धांतों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1. मानवीय व्यवहार की भूमिका: संचालन के सिद्धांतों का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि वे मानवीय व्यवहार के अनुरूप हों। जैसे कि आदेश की एकरूपता का सिद्धांत, जहां कर्मचारियों को एक ही व्यक्ति से आदेश लेना होता है। यह सिद्धांत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्टता और संगठनात्मक संरचना को बनाए रखता है, जिससे कर्मचारियों का मानसिक तनाव कम होता है और वे बेहतर कार्य कर पाते हैं।
2. मनोवैज्ञानिक पहलू: संचालन के सिद्धांतों का मनोवैज्ञानिक आधार होता है। मानव व्यवहार मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होता है, और संचालन के सिद्धांत इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, प्रेरणा और नेतृत्व के सिद्धांतों का आधार मनोविज्ञान में है, जहां कर्मचारियों को प्रेरित करने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए उनके मानसिक और भावनात्मक पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है।
3. सामाजिक और भावनात्मक संबंध: संचालन के सिद्धांत केवल कार्य से संबंधित नहीं होते, बल्कि वे सामाजिक और भावनात्मक संबंधों पर भी आधारित होते हैं। एक अच्छे संचालक को कर्मचारियों के बीच सकारात्मक संबंध स्थापित करने और उनके साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाने की आवश्यकता होती है। इससे कर्मचारियों की कार्यक्षमता और संतोष में वृद्धि होती है।
4. सिद्धांतों का प्रत्यक्ष प्रभाव: संचालन के सिद्धांतों का प्रत्यक्ष प्रभाव मानवीय व्यवहार पर पड़ता है। जैसे कि संसाधनों का महत्तम उपयोग करने के सिद्धांत को लागू करते समय यह आवश्यक है कि कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किए जाएं ताकि वे अपने कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकें। यह कर्मचारियों के व्यवहार और उनकी कार्यप्रणाली को सीधे प्रभावित करता है।
इस प्रकार, यह स्पष्ट होता है कि संचालन के सिद्धांत मानव व्यवहार पर आधारित होते हैं और उनके सफल अमल के लिए मानवीय व्यवहार को समझना और उसे ध्यान में रखना आवश्यक है।
प्रश्न 4: वर्तन/व्यवहार सम्बन्धित, विचारधाराओं के बारे में समझाइए।
उत्तर: वर्तन संबंधी विचारधारा (Thought of Behaviour Related) इस पर केंद्रित है कि अन्य व्यक्तियों से काम लेने की कला क्या है और यह कैसे प्रभावी हो सकती है। प्रो. उविक की एक महत्वपूर्ण उक्ति है, “तुम अपने कर्मचारियों का ध्यान रखो, वे शेष बातों का ध्यान तुम्हारे लिए रखेंगे” (Mind your men, men will mind everything for you)। यह उक्ति इस विचारधारा का मूल आधार प्रस्तुत करती है।
मुख्य विशेषताएँ:
1. मानव का महत्वपूर्ण स्थान: वर्तन संबंधी विचारधारा में मानव या कर्मचारी इकाई में सबसे महत्वपूर्ण स्थान पर होते हैं। संचालन का अध्ययन वास्तव में आन्तरिक व्यक्ति संबंधों का अध्ययन बन जाता है, क्योंकि संचालन व्यक्ति के माध्यम से ही होता है।
2. मानव व्यवहार और संबंध: संचालन का मुख्य केंद्र बिंदु मानव व्यवहार और मानवीय संबंध होते हैं। यह विचारधारा मानती है कि कर्मचारी के कार्यसंतोष और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक तारणों का उपयोग महत्वपूर्ण है। इससे कर्मचारी अपने कार्य में अधिक उत्साहित और प्रेरित रहते हैं।
3. अभिप्रेरण और नेतृत्व: वर्तन संबंधी विचारधारा में अभिप्रेरण और नेतृत्व को महत्वपूर्ण माना जाता है। कर्मचारियों को प्रेरित करना और उन्हें उचित नेतृत्व प्रदान करना उनके प्रदर्शन और संगठन की सफलता के लिए आवश्यक है।
4. सूचना संचार की प्रक्रिया: सूचना संचार की प्रक्रिया भी इस विचारधारा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रभावी संचार संगठन में पारदर्शिता और स्पष्टता को बढ़ाता है, जिससे कर्मचारी बेहतर तरीके से अपने कार्य कर सकते हैं।
5. औद्योगिक झगड़ों का निराकरण: औद्योगिक झगड़ों का निराकरण भी वर्तन संबंधी विचारधारा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सकारात्मक मानवीय संबंध और संवाद के माध्यम से झगड़ों का समाधान किया जा सकता है, जिससे संगठन का वातावरण सौहार्दपूर्ण और उत्पादक बनता है।
उदाहरण:
- आन्तरमानवीय संबंध: एक संगठन में जब कर्मचारियों के बीच सकारात्मक संबंध होते हैं, तो कार्यस्थल का वातावरण अधिक सहयोगात्मक और सौहार्दपूर्ण बनता है।
- अभिप्रेरण: कर्मचारियों को नियमित रूप से प्रेरित करना, उनकी उपलब्धियों की सराहना करना और उन्हें नई चुनौतियों के लिए प्रोत्साहित करना उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
- नेतृत्व: एक अच्छा नेता अपने कर्मचारियों को दिशा प्रदान करता है, उन्हें समर्थन देता है और उनके विकास में मदद करता है।
इस प्रकार, वर्तन संबंधी विचारधारा मानव व्यवहार, अभिप्रेरण, नेतृत्व, सूचना संचार, और औद्योगिक झगड़ों के समाधान पर आधारित है, जिससे संगठन में सकारात्मक और उत्पादक वातावरण बनता है।
प्रश्न 5. पीटर एफ. ड्रकर का संचालन के क्षेत्र में योगदान समझाइए ।
पीटर एफ. ड्रकर संचालन शास्त्री के रूप में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं, जिनका योगदान संचालन की समझ और प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने में बहुत महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने संचालन के क्षेत्र में ध्येयलक्षी संचालन का सिद्धांत और स्वनियमन की महत्वपूर्णता को उजागर किया। ड्रकर ने संचालन में मानव संसाधन को एक महत्वपूर्ण संसाधन माना और इसे व्यवस्थाओं के लिए अनुकूल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी ध्येयलक्षी संचालन की दृष्टि में, संगठन के सभी स्तरों पर एक समान लक्ष्य रखा जाना चाहिए, जो संगठन की प्रगति और सफलता में मदद करता है। इसके अलावा, उनका योगदान मानव संसाधन प्रबंधन, बाजारीय संचालन, और तनाव प्रबंधन में भी अद्वितीय रहा है।
प्रश्न 6. नवीन पारंपरिक विचारधाराओं (Thoughts of Neo-classical Theory) के बारे में समझाइए ।
नवीन पारंपरिक विचारधारा संचालन की पारंपरिक विचारधारा को नए दृष्टिकोण और सुधार के साथ अद्वितीय बनाने का प्रयास करती है। इस विचारधारा का उद्भव 19वीं शताब्दी के अंत में औद्योगिक क्रांति और वैश्विकीकरण के समय में हुआ, जब संगठनों ने अपनी व्यवस्थाओं में नए परिवर्तन और सुधार की आवश्यकता महसूस की। नवीन पारंपरिक विचारधारा ने संचालन की परंपरागत सोच को परिवर्तित किया, जिसमें समूह वार्तन, विचारात्मक समझ, और अनुकूल अभिगम को महत्व दिया गया।
इसके उद्भवकारी व्यक्तित्वों में से एल्टन मेयोना होर्थोन थे, जिन्होंने संचालन में नई दिशाएँ स्थापित की जो व्यक्तिगत वर्तन को प्रेरित करती हैं और समूह वर्तन के माध्यम से संगठनों की प्रगति में मदद करती हैं। नवीन पारंपरिक विचारधारा ने विभिन्न उद्योगों में व्याप्त वर्तनलक्षी और अभिगम के माध्यम से संगठनों को प्रदर्शन में सुधार करने का मार्ग प्रदान किया।
प्रश्न 7. रूढ़िगत संचालन के सामने एक क्रान्तिकारी विचार के रूप में वैज्ञानिक संचालन को प्रस्तुत किया, जिसमें मुख्य कितनी व कौन-कौन सी बातें देखने को मिलती है ?
वैज्ञानिक संचालन एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण है जो रूढ़िगत संचालन के विरुद्ध प्रस्तावित किया गया है। इस दृष्टिकोण में, कुछ मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दिया गया है:
1. बुद्धि और शक्ति के अनुसार कार्य सौंपना: यह संचालन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कर्मचारी को उस कार्य को संपादित करने के लिए सही साधनों और संसाधनों की पहुँच प्रदान करता है। इससे संगठन की प्रदर्शनक्षमता बढ़ती है और कार्य के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है।
2. कार्यदक्षता से अधिक वेतन प्रदान करना: यह बात यह सुनिश्चित करती है कि कार्यदक्ष कर्मचारी को उसके योगदान के अनुसार उचित मान्यता दी जाती है। इससे मोटिवेशन बढ़ता है और कर्मचारी संगठन में अधिक लंबित रहते हैं।
3. शीघ्रता से कार्य संपादन: इस पहलू में, कार्य की शीघ्रता और प्रभावकारिता बढ़ाई जाती है, जो कि संगठन के लिए महत्वपूर्ण है। इससे संगठन की प्रतिस्पर्धा क्षमता में सुधार होता है और विशिष्ट उत्पादों या सेवाओं की प्रक्रियाओं में सुधार होता है।
प्रश्न 8. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
संचालन में आदेश की एकरूपता एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो संगठनों को एकीकृत और सुचारू बनाता है। यह सुनिश्चित करता है कि कार्य को संगठन की धार्मिकता और संघटन अनुसार संपादित किया जाता है। एकरूपता अनुशासन और कारयन्त्रण में सुधार लाता है, जो संगठन की कार्यक्षमता और प्रदर्शन को सुनिश्चित करता है।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तारपूर्वक उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1. वैज्ञानिक संचालन के सिद्धांत समझाइए ।
वैज्ञानिक संचालन के सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
1. वैज्ञानिक पद्धति का सिद्धांत: यह सिद्धांत बताता है कि रूढ़िगत पद्धतियों को छोड़कर नई वैज्ञानिक पद्धति को अपनाना चाहिए। कर्मचारियों को अपने कार्य को वैज्ञानिक रूप से विश्लेषित करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, जिससे कि उनका कार्य श्रेष्ठता को प्राप्त हो सके।
2. आयोजन तथा अमलीकरण का सिद्धांत: यह सिद्धांत बताता है कि कार्यकर्ताओं को कार्यों को नई दृष्टिकोण से आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने कार्य को सबसे अच्छे तरीके से संपादित कर सकें।
3. कार्य-विश्लेषण का सिद्धांत: यह सिद्धांत मानता है कि कार्यों को शीघ्रता और खर्च कम करने के लिए वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाना चाहिए। इससे कार्यक्षमता में सुधार होता है और उत्पादकता में वृद्धि होती है।
4. प्रमाणीकरण का सिद्धांत: यह सिद्धांत विश्वसनीयता और सरलीकरण की महत्वपूर्णता को बताता है। किसी भी कार्य के लिए साधनों, औजारों, और समय का प्रमाणीकरण जरूरी होता है ताकि संगठन में सुचारूता बनी रहे।
5. वैज्ञानिक चयन और प्रशिक्षण का सिद्धांत: इस सिद्धांत के अनुसार, कर्मचारियों का चयन वैज्ञानिक मापदण्डों के आधार पर होना चाहिए। उन्हें उनकी योग्यता, शिक्षा, और कौशल के आधार पर चुना जाना चाहिए ताकि वे संगठन के लिए अच्छे से अच्छा कार्य कर सकें।
6. वित्तीय प्रोत्साहन का सिद्धांत: इस सिद्धांत के अनुसार, कुशल कर्मचारियों को वित्तीय और अन्य प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ताकि उनका कार्यक्षमता में सुधार हो और वे संगठन में विशेष सम्मान प्राप्त कर सकें।
7. मानसिक क्रान्ति का सिद्धांत: इस सिद्धांत के अनुसार, संगठन मालिकों और कर्मचारियों के बीच लक्ष्य की साझेदारी और मानसिक समझौता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इससे संगठन में लोगों के बीच संवाद में सुधार होता है और कार्य प्राप्ति में सरलता बढ़ती है।
इन सिद्धांतों का पालन करने से संगठन में कार्यक्षमता बढ़ती है और विकास को गति मिलती है।
प्रश्न 2: पारंपरिक विचारधाराओं के बारे में विस्तार से समझाइए।
उत्तर: पारंपरिक विचारधाराएँ उन विचारधाराओं को संचालन की प्रणालियों में शामिल करती हैं जो 19वीं शताब्दी के अंत तक विकसित हुई थीं और उन्हें पारंपरिक तरीके से प्रचलित किया गया। इन विचारधाराओं के प्रमुख प्रवर्तक थे संचालनशास्त्री फ्रेडरिक टेलर, मेक्स वेबर, गील बर्थ, हेनरी गेन्ट, और हेनरी फेयोल। फ्रेडरिक टेलर ने संचालन विचारधारा में महत्वपूर्ण योगदान किया और उनके द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक सिद्धांत आज भी मान्य हैं। इसने प्रदर्शनीय पद्धतियों के स्थान पर समय और गति की देखरेख द्वारा संचालन की वैज्ञानिक विधियों को अनुशासित करने की सिफारिश की।
वैज्ञानिक संचालन के सिद्धांत ने व्यवस्थातंत्र में विशिष्टीकरण, उत्तेजित वेतन प्रणाली, जिम्मेदारी और कार्य की वैज्ञानिक ढंग से वितरण करने में मुख्य योगदान दिया। हेनरी फेयोल ने भी संचालन विचारधारा में महत्वपूर्ण योगदान किया और उन्होंने सामान्य सिद्धांतों के आधार पर व्यवस्थातंत्र में जिम्मेदारी की परिभाषा और कार्य के स्तर की निर्धारण की कोशिश की। उन्होंने विभिन्न स्तरों पर संचालनीय जिम्मेदारियों को निभाने के लिए संचालन के सार्वत्रिक सिद्धांतों को मार्गदर्शक रूप में प्रस्तुत किया।
मेक्स वेबर के अमलदारशाही सिद्धांतों का भी पारंपरिक विचारधारा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने धन्धाकीय इकाइयों के रूप और कद में 19वीं शताब्दी के उद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप आई अनेक मर्यादाओं में परिवर्तन की जरूरत को उजागर किया। इन मर्यादाओं में वित्तीय प्रोत्साहन को अधिक महत्व दिया गया, मानवीय समझबूझ कम महत्वपूर्ण थी, और अनौपचारिक संबंधों की कम समझ की गई।
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