Class 12 Chapter 1 संचालन का स्वरूप और महत्त्व Organization of Commerce and Management
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसन्द करके लिखिए :
प्रश्न 1.
अन्य व्यक्तियों के पास से काम लेने की कला को क्या कहते हैं ?
(A) आयोजन
(B) संचालन
(C) मार्गदर्शन
(D) संकलन
उत्तर :
(B) संचालन
प्रश्न 2.
प्रवृत्ति की दृष्टि से संचालन कैसी प्रवृत्ति है ?
(A) सर्वव्यापी
(B) अकार्यक्षम
(C) लक्ष्य निर्धारण
(D) पारदर्शक
उत्तर :
(A) सर्वव्यापी
प्रश्न 3.
ज्ञान को अमल में लाने की सरल पद्धति अर्थात् क्या ?
(A) व्यवसाय
(B) विज्ञान
(C) कला
(D) मार्गदर्शन
उत्तर :
(C) कला
प्रश्न 4.
व्यावसायिक संगठन अपने व्यवसाय के लिए किन बातों का निर्माण करते है ?
(A) विसंगतता
(B) असंगतता
(C) आचारसंहिता
(D) विचारसंहिता
उत्तर :
(C) आचारसंहिता
प्रश्न 5.
संचालन के स्तर कितने है ?
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार
उत्तर :
(C) तीन
प्रश्न 6.
उच्च स्तर संचालन में किसका समावेश होता है ?
(A) निष्णांत
(B) कर्मचारी / श्रमिक
(C) विभागीय अधिकारी
(D) बोर्ड ऑफ डिरेक्टर्स
उत्तर :
(D) बोर्ड ऑफ डिरेक्टर्स
प्रश्न 7.
निम्न स्तर को दूसरे किस नाम से पहचाना जाता है ?
(A) कार्यकारी स्तर
(B) कर्मचारी स्तर
(C) नीति विषयक स्तर
(D) अधिकारियों का स्तर
उत्तर :
(A) कार्यकारी स्तर
प्रश्न 8.
इनमें से किसका समावेश संचालन के किसी भी स्तर में नहीं होता ?
(A) निरीक्षक
(B) जॉबर
(C) कर्मचारी
(D) हिसाबी अधिकारी
उत्तर :
(C) कर्मचारी
प्रश्न 9.
आयोजन यह धन्धाकीय साहस का मस्तिष्क है, तो व्यवस्थातंत्र यह क्या है ?
(A) हृदय
(B) हाथ-पैर
(C) शारीरिक ढाँचा
(D) रक्त
उत्तर :
(C) शारीरिक ढाँचा
प्रश्न 10.
इनमें से बाजार-संचालन का कार्य कौनसा है ?
(A) आय का वितरण
(B) उत्पादन
(C) उत्पादन मिश्र
(D) वित्त का उपयोग
उत्तर :
(C) उत्पादन मिश्र
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1. संचालन किसे कहते हैं?
उत्तर: धंधाकीय इकाइयों में विभिन्न प्रकार के निर्णय लेने और उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षित, अनुभवी और विशेषज्ञ लोगों की आवश्यकता होती है। यह लोग जिन कार्यों को करते हैं, उसे संचालन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, संचालन का अर्थ है दूसरों से कार्य करवाने की कला।
प्रश्न 2. संचालन द्वारा कौन-कौन से क्षेत्रों का विकास होता है?
उत्तर: संचालन से धार्मिक, सुरक्षा, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, और खेलकूद जैसे विभिन्न क्षेत्रों का विकास होता है।
प्रश्न 3. संचालन में कौन-कौन सी बातों का समावेश होता है?
उत्तर: संचालन में कई महत्वपूर्ण कार्य शामिल होते हैं, जैसे कि आयोजन, व्यवस्थापन, कर्मचारी व्यवस्था, मार्गदर्शन और नियंत्रण।
प्रश्न 4. इकाई के संचालन के बारे में सर्वोच्च सत्ता प्राप्त स्तर कौन-सा स्तर कहलाता है?
उत्तर: इकाई के संचालन के बारे में सबसे उच्चतम सत्ता वाला स्तर उच्च स्तर कहलाता है।
प्रश्न 5. मध्य स्तर संचालन दूसरे किस नाम से पहचाना जाता है?
उत्तर: मध्य स्तर संचालन को अधिकारियों का स्तर भी कहा जाता है।
प्रश्न 6. मुख्य प्रबन्धकीय अधिकारी की ओर से प्राप्त आदेशों और सूचनाओं का अमल कौन से स्तर पर करते है?
उत्तर: मुख्य प्रबंधकीय अधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेशों और सूचनाओं का कार्यान्वयन मध्य स्तर संचालन पर किया जाता है।
प्रश्न 7. यंत्रों की व्यवस्था और मरम्मत से सम्बन्धित कार्य संचालन के कौन से स्तर पर होता है?
उत्तर: यंत्रों की व्यवस्था और मरम्मत से जुड़े कार्य संचालन के निम्न स्तर पर होते हैं।
प्रश्न 8. उत्पादन मिश्रण में कौन-कौन से गुणधर्मों का समावेश होता है?
उत्तर: उत्पादन मिश्रण में नए उत्पाद का निर्माण या मौजूदा उत्पाद के विकास से जुड़े निर्णय शामिल होते हैं। इसमें उत्पाद का रूप, रंग, आकार, वजन, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, कार्यक्षमता, बिक्री के बाद की सेवाएँ और उत्पाद विविधता जैसी विशेषताएँ शामिल होती हैं।
प्रश्न 9. I.I.M. का विस्तृत रूप लिखिए।
उत्तर: I.I.M. का पूर्ण रूप है Indian Institute of Management।
प्रश्न 10. M.B.A. का विस्तृत रूप लिखिए।
उत्तर: M.B.A. का पूरा नाम Master of Business Administration है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए :
प्रश्न 1. संचालन के उच्च स्तर पर होनेवाले कोई भी दो कार्य बताइए।
उत्तर: उच्च स्तर के संचालन में निम्नलिखित दो मुख्य कार्य शामिल होते हैं:
1. धंधाकीय इकाई के मुख्य और गौण उद्देश्यों को निर्धारित करना। यह उद्देश्यों की स्पष्टता संचालन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत का काम करती है।
2. संचालक मंडल के सदस्य या ट्रस्टी के रूप में कार्य करना। ये लोग धंधाकीय इकाई के संरक्षण और समग्र दिशा के लिए जिम्मेदार होते हैं।
प्रश्न 2.संचालन से समाज को कौन-से लाभ मिलते हैं?
उत्तर: संचालन के माध्यम से समाज के संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया जाता है, जिससे समाज के लोगों के हित में कार्य किया जाता है। सफल व्यवसाय सामाजिक समृद्धि और खुशहाली में वृद्धि करता है। व्यवसाय इकाइयाँ कम लागत पर विभिन्न वस्तुएं और सेवाएं उत्पन्न करती हैं और योग्य संचालन के माध्यम से इन्हें उचित मूल्य पर समाज को उपलब्ध कराती हैं, जिससे समग्र समाज का कल्याण होता है।
प्रश्न 3. आयोजन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: आयोजन का अर्थ है वांछित परिणामों को प्राप्त करने के लिए वास्तविकताओं का चयन करना, उनके बीच अंतरसंबंध स्थापित करना, और आवश्यक गतिविधियों के अवलोकन और निर्माण के लिए पूर्वानुमान करना। यह योजना बनाने की प्रक्रिया है जो संगठन को लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करती है।
प्रश्न 4. प्रबन्ध अथवा व्यवस्थातंत्र का अर्थ दीजिए।
उत्तर: प्रबन्ध अथवा व्यवस्थातंत्र का अर्थ है समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्यरत व्यक्तियों के बीच अधिकार और दायित्व का विभाजन करना। यह एक ढांचा होता है जिसमें अलग-अलग विभागों और मानव समूहों के बीच संगठन की गतिविधियों को विभाजित किया जाता है और उन्हें अधिकार और जिम्मेदारियों का आवंटन किया जाता है।
प्रश्न 5. संकलन का अर्थ बताइए।
उत्तर: संकलन का मतलब है धंधाकीय इकाई के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न कार्यों के बीच एकसूत्रता या समन्वय स्थापित करना। यह संगठन के विभिन्न कार्यों को एकीकृत करने की प्रक्रिया है ताकि वे एक साथ मिलकर लक्ष्य प्राप्त कर सकें।
प्रश्न 6. संचालन के उच्च स्तर में किसका समावेश होता है?
उत्तर: संचालन के उच्च स्तर में संचालक मंडल, मैनेजिंग डायरेक्टर, जनरल मैनेजर, मुख्य प्रबन्धकीय अधिकारी, और ट्रस्टी शामिल होते हैं। ये सभी उच्च पदाधिकारी संगठन की रणनीति और दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 7. बाजार संचालन का मुख्य उद्देश्य कौन-सा है?
उत्तर: बाजार संचालन का मुख्य उद्देश्य ग्राहक वर्ग को संतोष प्रदान करना और दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करना है। इसका मतलब है कि व्यवसाय को अपने ग्राहकों की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करना चाहिए ताकि उन्हें लंबे समय तक लाभ मिल सके।
प्रश्न 8. मूल्य सम्बन्धी निर्णयों में कौन-कौन सी बातों का समावेश होता है?
उत्तर: मूल्य सम्बन्धी निर्णयों में निम्नलिखित बातों का समावेश होता है:
- विक्रय नीति
- साख नीति
- बट्टे की नीति
- थोकबंद या फुटकर विक्रय
- मध्यस्थों का कमीशन
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर मूल्य निर्धारण के निर्णय लिए जाते हैं।
प्रश्न 9. कर्मचारी व्यवस्था के बारे में समझाइए।
उत्तर: कर्मचारी व्यवस्था का उद्देश्य संतोषजनक और संतुष्ट कर्मचारी दल खड़ा करना, उन्हें बनाए रखना और उनका विकास करना है। एक इकाई बिना कर्मचारियों के आत्मा के बिना अस्थि कंकाल के समान होती है। कर्मचारियों के बिना कोई भी इकाई कार्य नहीं कर सकती। इसलिए, किसी भी इकाई की सफलता और कार्यक्षमता का अंतिम आधार कर्मचारियों पर ही होता है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर महासर दीजिए
प्रश्न 1. संचालन का महत्त्व (Importance of Management) समझाइए।
उत्तर: आधुनिक समय में संचालन किसी भी क्षेत्र की सफलता या असफलता का मुख्य आधार है। संचालन का महत्त्व निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट होता है:
1. प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यक: संचालन केवल उद्योग-धंधों में ही नहीं, बल्कि धार्मिक, सुरक्षा, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक और खेलकूद जैसी विभिन्न गतिविधियों में भी आवश्यक होता है। इन सभी गतिविधियों में आयोजन, व्यवस्थापन, मार्गदर्शन और नियंत्रण जैसे संचालन के कार्य करने पड़ते हैं।
2. साधनों का महत्तम उपयोग: संचालन द्वारा इकाई में उपलब्ध सभी साधनों जैसे भूमि, पूंजी, कच्चा माल, कर्मचारी और यंत्र आदि का अधिकतम उपयोग हो सकता है और उनके दुरुपयोग को रोका जा सकता है।
3. ध्येय प्राप्ति: व्यवसायिक इकाई में लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु संचालन अनिवार्य होता है। संचालन के माध्यम से ही साधनों का अधिकतम उपयोग संभव हो सकता है, जिससे इकाई के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
4. व्यवसाय की सफलता हेतु उपयोगी: व्यवसायिक इकाई की सफलता में अन्य कारकों की तुलना में संचालन का विशेष योगदान होता है। व्यवसाय की सफलता या असफलता संचालन पर निर्भर करती है। लघु औद्योगिक इकाइयाँ जो बड़े औद्योगिक इकाइयों का रूप धारण कर सकती हैं, उनमें संचालन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। दक्ष संचालन के कारण घाटे में चलने वाली इकाई लाभ कमाने वाली इकाई बन सकती है।
5. रोजगार के अवसरों में वृद्धि: यदि संचालन दक्ष हो तो कंपनी का विकास होता है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। जबकि अकार्यक्षम संचालन के कारण कई कंपनियाँ बंद हो जाती हैं, जिससे बेरोजगारी में वृद्धि होती है।
6. लाभ में वृद्धि: व्यवसायिक इकाई सामान्यत: लाभ के उद्देश्य से कार्य करती है। कुशल संचालन द्वारा उपलब्ध सभी साधनों का मितव्ययता पूर्वक उपयोग कर अधिकतम लाभ कमाया जा सकता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि लाभ ही व्यवसाय की कार्यक्षमता और सफलता का मापदंड होता है।
7. सामाजिक लाभ: प्रत्येक इकाई समाज में रहकर समाज के लिए कार्य करती है। समाज के संसाधनों का उपयोग करके समाज के लोगों के लाभ हेतु कार्य करती है। व्यवसाय की सफलता समाज की समृद्धि और सुख में वृद्धि करती है। व्यवसायिक इकाइयाँ कम लागत पर विविध वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती हैं और समाज को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराती हैं, जिससे समाज का कल्याण होता है।
8. राष्ट्र के विकास हेतु: देश के अर्थतंत्र में आर्थिक, सामाजिक और राष्ट्र के विकास के लिए अनुपयोगी मानव संसाधन और उपयोग में न लिए गए उत्पादन के साधनों का अधिकतम उपयोग करने हेतु दक्ष संचालन आवश्यक होता है।
परिभाषाएँ :
1. रूजवेल्ट : "एक सरकार बिना अच्छे संचालन के रेत पर बने मकान के समान है।"
2. लॉरेंस एप्पले: "संचालन व्यक्तियों का विकास है।"
3. डॉ. जॉन एफ. मी : "संचालन किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास की मुख्य कुंजी है।"
प्रश्न 2. संचालन एक व्यवसाय है। समझाइए।
उत्तर: संचालन को एक व्यवसाय मानने के पीछे यह विचार है कि जैसे अन्य पेशेवरों को अपने क्षेत्र में विशिष्ट ज्ञान और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, वैसे ही प्रबंधन के क्षेत्र में भी विशेष ज्ञान और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। व्यवसाय का अर्थ है किसी भी क्षेत्र में विशेष ज्ञान प्राप्त करके उस ज्ञान का लाभ समाज को प्रदान करना और इसके बदले में समाज से पारिश्रमिक प्राप्त करना। डॉक्टर, वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट, इंजीनियर आदि इसी प्रकार के पेशेवर होते हैं।
उसी प्रकार संचालन के क्षेत्र में भी, पेशेवरों को बीबीए और एमबीए जैसी डिग्रियाँ प्राप्त करनी पड़ती हैं, जिसके बाद वे प्रबंधन सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। इस तरह संचालन भी एक व्यवसाय है, जहाँ पेशेवर प्रशिक्षण और योग्यता के आधार पर सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
प्रश्न 3. उच्च स्तर संचालन के कार्य (Function of Top Level Management) बताइए।
उत्तर: उच्च स्तर संचालन के कार्य निम्नलिखित हैं:
1. मुख्य और गौण उद्देश्यों का निर्धारण : धंधाकीय इकाई के प्राथमिक और द्वितीयक उद्देश्यों को निर्धारित करना।
2. ट्रस्टी के रूप में कार्य : संचालक मंडल के सदस्य इकाई के ट्रस्टी के रूप में कार्य करते हैं।
3. मुख्य प्रबंधकीय अधिकारी और उच्च अधिकारियों की नियुक्ति : शीर्ष प्रबंधकीय अधिकारियों की नियुक्ति और उनके अधिकार और दायित्वों का विभाजन करना।
4. विभागीय अधिकारियों द्वारा बनाए गए बजट को स्वीकृत करना : विभिन्न विभागीय अधिकारियों द्वारा बनाए गए बजट को अनुमोदित करना।
5. कानूनी व्यवस्थाओं का पालन : इकाई के साथ जुड़े विभिन्न वर्गों के हितों की सुरक्षा करते हुए कानूनी व्यवस्थाओं का पालन करना।
6. दीर्घकालीन योजना और रणनीतिक निर्णय लेना : इकाई के लिए दीर्घकालीन आयोजन और रणनीतिक निर्णय लेना।
7. जटिल प्रश्नों की जांच और समाधान: संचालन से संबंधित जटिल प्रश्नों की जांच करना, समस्याओं का अध्ययन करना और कानूनी व्यवस्थाओं के अनुसार समाधान करना।
8. विभिन्न योजनाओं का निर्माण, अमल और निरीक्षण: इकाई के लिए योजनाओं का निर्माण, उनका कार्यान्वयन और निरीक्षण करना।
9. लाभ का वितरण: लाभांश, अनामत और लाभ का पुन: विनियोग से संबंधित कार्य करना।
10. विभिन्न विभागों की रिपोर्ट का अध्ययन: इकाई की विभिन्न गतिविधियों से संबंधित रिपोर्ट का अध्ययन करके आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करना।
11. श्रमिक अधिनियम की व्यवस्थाओं का पालन: श्रमिक अधिनियम के तहत निर्धारित व्यवस्थाओं का पालन करना।
प्रश्न 5. संकलन का महत्त्व समझाइए।
उत्तर: संकलन का महत्त्व निम्नलिखित है:
1. संचालन के कार्य प्रभावशाली बनाना: संकलन से संचालन के विविध कार्य जैसे कि आयोजन, व्यवस्थापन, मार्गदर्शन और नियंत्रण आदि प्रभावशाली बनते हैं।
2. लक्ष्यों की प्राप्ति: संकलन के कारण इकाई के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
3. कार्यक्रम और समय में संतुलन: इकाई के विभिन्न विभागों के कार्यों के बीच समय और कार्यक्रम में संतुलन बनाये रखने का कार्य संकलन के कारण संभव होता है।
4. विभागों के बीच संवादिता: संकलन के कारण इकाई के विभिन्न विभागों में संवादिता बनी रहती है।
5. कार्य की सरलता: संकलन के कारण ही इकाई के समस्त कार्य सरलता से किये जा सकते हैं।
6. कार्य की पूर्ति और पुनरावर्तन का अभाव: संकलन से इकाई का कोई भी कार्य बाकी नहीं रहता और किसी भी कार्य का पुनरावर्तन नहीं होता।
प्रश्न 6. मानव संसाधन संचालन का महत्त्व समझाइए।
उत्तर: मानव संसाधन संचालन का महत्त्व निम्नलिखित है:
1. इकाई की प्रतिष्ठा में वृद्धि: मानव संसाधन संचालन से इकाई की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
2. लाभ में वृद्धि: इकाई के लाभ में वृद्धि होती है।
3. कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि: कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
4. उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता में सुधार: इकाई द्वारा उत्पादित वस्तु अथवा सेवा की गुणवत्ता में सुधार होता है।
5. कर्मचारियों की संतुष्टि में वृद्धि: कर्मचारियों की संतुष्टि में वृद्धि होती है।
6. कर्मचारियों का कम परिवर्तन दर: कर्मचारियों के परिवर्तन दर में कमी आती है।
7. साधनों का महत्तम उपयोग: उत्पादन में काम में लाए जाने वाले विभिन्न साधनों का महत्तम उपयोग होता है।
8. समूह भावना का विकास: मानव संसाधन संचालन से कर्मचारियों में समूह भावना का विकास होता है।
9.कार्य संतुष्टि और औद्योगिक शांति: मानव संसाधन संचालन के कारण कर्मचारियों को पर्याप्त कार्य संतुष्टि प्राप्त होती है, जिससे इकाई में औद्योगिक शांति का वातावरण बनता है।
प्रश्न 7. वित्तीय संचालन के कार्य (Function of Financial Management) समझाइए।
उत्तर: वित्तीय संचालन के कार्य निम्नलिखित हैं:
1. वित्त की आवश्यकताओं का अनुमान: वित्त या पूंजी की आवश्यकताओं का अनुमान लगाना।
2. समयानुसार वित्त का आयोजन: समय के अनुरूप वित्त का आयोजन करना।
3. बजट बनाना: बजट बनाना।
4. आय का वितरण: आय का वितरण करना।
5. पूंजी ढांचे का चयन: पूंजी ढांचे पर विचार करना और पूंजी प्राप्ति के स्रोतों का चयन करना।
6. वित्त प्राप्त करने की प्रक्रिया: वित्त की प्राप्ति के लिए कार्यवाही करना।
7. वित्त के योग्य उपयोग और नियंत्रण: प्राप्त किए गए वित्त का योग्य रूप से उपयोग करना और नियंत्रण की व्यवस्था करना।
8. वित्तीय नीति बनाना: वित्तीय नीति बनाना।
9. कर ढांचे का आयोजन: कर ढांचे का आयोजन करना।
10. सम्पत्तियों की व्यवस्था: सम्पत्तियों की व्यवस्था करना।
प्रश्न 8.संचालन एक विज्ञान है। (Management as a Science) समझाइए।
उत्तर: विज्ञान का अर्थ है व्यवस्थित और विशिष्ट प्रकार का ज्ञान जिसमें नियमों और सिद्धांतों को स्थापित किया जा सके और कार्य-कारण का संबंध स्पष्ट हो। संचालन में भी विज्ञान के विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे:
1. व्यवस्थित ज्ञान: संचालन एक व्यवस्थित ज्ञान है।
2.सर्वव्यापकता: संचालन के सिद्धांत सर्वव्यापक होते हैं।
3. कारण और असर का संबंध: संचालन में कारण और असर का संबंध स्पष्ट होता है।
4. वास्तविकता : संचालन वास्तविकताओं पर आधारित होता है।
5. विश्लेषण और प्रयोग : संचालन विश्लेषण और प्रयोगों का आधार होता है।
6. नियमों की जाँच : संचालन में नियमों की जाँच होती है।
संचालन के सिद्धांतों के माध्यम से मानव, यंत्र, पूंजी और पद्धति का व्यवस्थित उपयोग होता है। इस प्रकार, संचालन एक विज्ञान है। डॉ. जॉर्ज टेरी ने कहा है कि "विज्ञान व्यक्ति को जानकारी प्रदान करता है।"
प्रश्न 9. संचालन एक कला है (Management as an Art) उपरोक्त कथन समझाइए।
उत्तर : संचालन एक कला है, इस कथन का अर्थ है कि संचालन में व्यक्तिगत कौशल, निपुणता और प्रतिभा का प्रयोग होता है। कला का मतलब है कि किसी कार्य को कुशलता और दक्षता से करने की क्षमता, लेकिन इस कौशल का उपयोग करने के लिए संबंधित कार्य का सैद्धांतिक ज्ञान भी आवश्यक होता है।
संचालन में नियमों और सिद्धांतों का व्यवहार में उपयोग करते समय व्यक्तिगत कुशलता, सूझ और चातुर्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। केवल सिद्धांतों का पुस्तकीय ज्ञान पर्याप्त नहीं होता है; इन सिद्धांतों का व्यवहार में उपयोग करने के लिए तकनीकी कौशल और कला की आवश्यकता होती है। संचालक को अपने व्यक्तिगत कौशल और योग्यता के अनुरूप आवश्यक परिवर्तन करने पड़ते हैं। डॉ. जॉर्ज टेरी कहते हैं, "कला व्यक्ति को काम करना सिखाती है" (Art Teaches one to do).
इस प्रकार, संचालन केवल विज्ञान नहीं है और न ही केवल कला। संचालन विज्ञान और कला दोनों का सुंदर समन्वय है। इसे इस तरह से कहा जा सकता है कि संचालन न तो भौतिक विज्ञान जैसा शुद्ध विज्ञान है और न ही शिल्प जैसी शुद्ध कला।
प्रश्न 10. संचालन एक व्यवसाय के रूप में है, जिनमें कौन-कौन से लक्षण देखने को मिलते हैं? समझाइए।
उत्तर : संचालन एक व्यवसाय है, और इसमें निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं:
1. विशिष्ट प्रकार का ज्ञान: व्यवसाय के प्रकार के अनुरूप इनमें विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है। जैसे वकील के व्यवसाय हेतु L.L.B. की पदवी अनिवार्य होती है, डॉक्टर के व्यवसाय हेतु MBBS, M.D., M.S., BDS, MDS की डिग्री अनिवार्य होती है, उसी तरह संचालन के लिए B.B.A. और M.B.A. की डिग्री की आवश्यकता होती है।
2. ज्ञान में वृद्धि और संशोधन: प्रत्येक व्यवसाय की तरह संचालन में भी अनुभव और प्रशिक्षण के माध्यम से ज्ञान में वृद्धि और संशोधन होता है।
3. व्यवसायी मंडल: जैसे अन्य व्यवसायों के क्षेत्र में मंडल या संगठन होते हैं, वैसे ही संचालन के क्षेत्र में भी मंडल होते हैं जो संचालन का शिक्षण और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। भारत में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचालन का ज्ञान प्रदान करने वाली संस्था IIM (Indian Institute of Management) कार्यरत है।
4. आचार संहिता का पालन: प्रत्येक व्यावसायिक मंडल अपने व्यवसाय के सदस्यों के लिए आचार संहिता का निर्माण करता है। प्रत्येक सदस्य को इनका पालन करना अनिवार्य होता है।
5. नैतिक दायित्व: व्यवसाय में नैतिक दायित्व निभाना पड़ता है जिसमें व्यवसायी व्यक्ति अपने व्यवसाय के प्रति निष्ठावान रहकर नैतिक दायित्व निभाते हैं। जैसे CA (चार्टर्ड अकाउंटेंट) अपने व्यवसाय में अपने ग्राहक या व्यापारी और कंपनी के प्रति वफादार रहते हैं और उनकी जानकारी को गोपनीय रखते हैं।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए ।
प्रश्न 1: संचालन का अर्थ बताते हुए लक्षण समझाइए। अथवा संचालन का स्वरूप (Nature of Management) पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: संचालन का स्वरूप समझने के लिए इसके लक्षण को समझना होगा, जो निम्नलिखित हैं:
संचालन का अर्थ है दूसरों से कार्य करवाने की कला। इसे विस्तार से समझने के लिए इसके लक्षण निम्नलिखित हैं:
1. सर्वव्यापी प्रवृत्ति: संचालन एक सर्वव्यापी प्रवृत्ति है, जो प्रत्येक मानवीय समूह में उद्देश्य प्राप्ति हेतु आवश्यक होता है। यह न केवल औद्योगिक क्षेत्रों में बल्कि सामाजिक, धार्मिक, कृषि, सेना, शैक्षणिक आदि सभी क्षेत्रों में आवश्यक होता है। संचालन प्रत्येक क्षेत्र की सभी संस्थाओं और संस्थाओं के सभी विभागों में आवश्यक होता है।
2. उद्देश्यलक्षी प्रवृत्ति: संचालन एक साधन है, उद्देश्य नहीं। प्रत्येक इकाई की स्थापना कुछ निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु की जाती है, और इन उद्देश्यों को कार्यक्षम और मितव्ययी रूप से सिद्ध करने के लिए संचालन आवश्यक होता है।
3. सामूहिक प्रवृत्ति: संचालन दो या दो से अधिक व्यक्तियों की सामूहिक प्रवृत्ति है। जहाँ पर दो या दो से अधिक व्यक्ति पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को सिद्ध करने के लिए कार्य करते हैं, वहाँ संचालन आवश्यक होता है।
4. निरंतर चलनेवाली प्रवृत्ति: संचालन एक निरंतर चलनेवाली प्रवृत्ति है। यह एक बार आरंभ करने के पश्चात् रोका नहीं जा सकता। संचालन उद्देश्यलक्षी होता है, परंतु उद्देश्य प्राप्ति के पश्चात् इसकी प्रक्रिया रुकती नहीं। नए उद्देश्य और नए लक्ष्यों को संचालन द्वारा ही स्थापित किया जाता है। इस प्रकार संचालन में लक्ष्य निर्धारण, लक्ष्य प्राप्ति, और पुनः लक्ष्य निर्धारण का चक्र निरंतर चलता रहता है।
5. मानवीय प्रवृत्ति: संचालन, मानव विशेष से संबंधित प्रवृत्तियों तक सीमित है। संचालन में मानव का स्थान महत्वपूर्ण होता है। मानव के बिना अन्य उत्पादन के साधन निरर्थक बन जाते हैं। संचालन मानव के लिए होता है, मानव द्वारा होता है, और मानव के लिए होने वाली मानवीय प्रवृत्ति है।
6. निर्णय प्रक्रिया: संचालन का एक महत्वपूर्ण कार्य निर्णय लेना होता है। संचालक को संचालन कार्य के दौरान लगातार निर्णय लेने पड़ते हैं। निर्णय के बिना कोई भी कार्य नहीं हो सकता। निर्णय लेने के पश्चात् संचालकों को इसका अमल सुनिश्चित करना होता है। इस प्रकार, निर्णय प्रक्रिया संचालन का एक महत्वपूर्ण कार्य है। इस संबंध में रोस मूरे कहते हैं, "संचालन का अर्थ है निर्णय लेना" (Management means Decision Making)।
7. विज्ञान, कला और व्यवसाय (Science, Arts & Profession): विज्ञान की तरह संचालन में भी निश्चित नियम और सिद्धांत होते हैं, जिससे कई लेखक इसे विज्ञान के रूप में मान्यता देते हैं। संचालन में मानव तत्व प्रमुख होने के कारण, कार्य को कुशलता से संपन्न करने के लिए व्यक्तिगत योग्यता, बुद्धि, चतुराई, और सूझबूझ की आवश्यकता होती है, जो कि कला के रूप में जानी जाती है। वर्तमान समय में इकाई के संचालन का कार्य प्रशिक्षित और विशेषज्ञ संचालक वर्ग को सौंपा जा रहा है। आधुनिक समय में वकील, डॉक्टर, चार्टर्ड एकाउंटेंट की तरह संचालकों ने भी व्यवसायी का स्वरूप धारण किया है। इस तरह, संचालन को व्यवसाय के रूप में भी स्वीकारा जाता है।
प्रश्न 2. संचालन के विभिन्न स्तर की आकृति बनाते हुए निम्न स्तर संचालन के कार्य समझाइए:
संचालन के स्तर (Levels of Management):
निम्न स्तर संचालन के कार्य (Functions of Bottom Level Management):
1. कर्मचारियों के कार्यों का निरीक्षण करना: यह स्तर कर्मचारियों के दैनिक कार्यों की निगरानी करता है और सुनिश्चित करता है कि सभी कार्य समय पर और उचित तरीके से हो रहे हैं।
2. कर्मचारियों में अनुशासन एवं उत्साह में वृद्धि हो ऐसे प्रयत्न करना: यहाँ तक कि कर्मचारियों के बीच अच्छे संबंध और टीमवर्क को बढ़ावा देने के लिए उत्साह और अनुशासन की बढ़ाई का काम किया जाता है।
3. अपने विभाग के दैनिक कार्यों का आयोजन करना: इस स्तर पर कार्यक्रमों और कार्यों का निर्वाह किया जाता है ताकि सभी कार्य प्रभावी रूप से संपन्न हो सकें।
4. विभिन्न कर्मचारियों से सम्बन्धित कार्य करना: इसमें कार्य स्थानांतरण, पदोन्नति, प्रशिक्षण आदि शामिल हैं, जो कर्मचारियों के व्यक्तिगत विकास और उनके संबंधों को सुनिश्चित करता है।
5. अपने विभाग के कार्य हेतु विभागीय अधिकारियों के पास से सूचनाएँ, आदेश तथा कार्यक्रम प्राप्त करना: इस स्तर पर श्रेष्ठ अधिकारियों के संबंधित निर्देशों का पालन करता है और उनके आदेशों को क्रियान्वित करता है।
6. यंत्रों की व्यवस्था, यंत्र विन्यास, यंत्रों की मरम्मत तथा सुरक्षा-देखभाल से सम्बन्धी कार्य करना: इसमें यंत्रों की बेहतर व्यवस्था और उनकी देखभाल के लिए जिम्मेदारी लेता है।
7. कर्मचारियों के उचित प्रश्नों का योग्य निराकरण करना: इसमें कर्मचारियों की समस्याओं और प्रश्नों का समाधान करता है और उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करता है।
8. कर्मचारियों को कार्य करने के लिए साधन-सामग्री, कच्चा माल आदि की व्यवस्था करना: यह स्तर कार्य के लिए आवश्यक सामग्री और उपकरणों की व्यवस्था करता है ताकि कार्य प्रभावी रूप से हो सके।
9. उच्च स्तर पर लिये गये निर्णय और नीतियों का अमल करना: इस स्तर पर उच्च स्तर के निर्णयों का अमल करता है और संगठन की नीतियों को प्रावधान के अनुसार पालन करता है।
10. निम्न स्तर पर की जानेवाली विविध प्रवृत्तियों के अहेवाल, कर्मचारियों के सूचन एवं शिकायते मध्य स्तर पर भेजना: यह स्तर कर्मचारियों की रिपोर्ट्स, सुझाव और शिकायतों का संबंधित माध्यमों के माध्यम से उच्च स्तर को पहुँचाता है।
इन सभी कार्यों के माध्यम से निम्न स्तर का संचालन संगठन की मूल उपयोगिता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न 3. संकलन का अर्थ बताकर लक्षण समझाइए।
उत्तर: संकलन (Co-ordination) का अर्थ:
संकलन का अर्थ है कि धार्मिक इकाइयों के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों द्वारा पृथक-पृथक कार्यों को एकसूत्रता या समेल स्थापित करने का कार्य। इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि संगठन के सभी भागों के कार्य समय पर, उचित तरीके से और एकत्रित रूप से हों।
लक्षण/विशेषताएँ (Characteristics):
1. संचालन के विभिन्न कार्य आयोजन से नियंत्रण तक के प्रत्येक कार्य करते समय संकलन की आवश्यकता पड़ती है: संकलन का महत्व यहाँ यह है कि सभी कार्यक्रमों का समय-सारणी, संसाधनों का उपयोग, और सम्पूर्ण कार्यक्रम का समन्वयित प्रबंधन किया जाए।
2. संकलन का कार्य संचालन के तीनों स्तर अर्थात् प्रत्येक स्तर पर होता है: संकलन संगठन के हर स्तर पर महत्वपूर्ण है, चाहे वह उच्च, मध्य या निम्न स्तर हो।
3. संकलन की सफलता के लिए सूचना संचार की व्यवस्था कार्यक्षम रूप से होना चाहिए: अच्छी संचार और सूचना प्रणाली के माध्यम से ही संकलन का व्यवस्थित कार्य संभव होता है।
4. किसी भी इकाई में संकलन तभी सम्भव होता है, जब सहकार की भावना हो: संकलन के लिए विभिन्न विभागों और कार्यकर्ताओं के बीच सहयोग और टीमवर्क आवश्यक होता है। यह सहकारी भावना संगठन में एकता और संगठन की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इन विशेषताओं के माध्यम से संकलन संगठन की कार्यक्षमता और प्रभावीता में महत्वपूर्ण योगदान देता है और सफलता की दिशा में मदद करता है।
प्रश्न 4. बाजार संचालन (Marketing Management) का अर्थ, तथा इनके कार्य समझाइए।
उत्तर: बाजार संचालन का अर्थ (Meaning of Marketing Management):
बाजार संचालन उस प्रक्रिया को दर्शाता है जिसमें उत्पादक माल या सेवा को ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए विभिन्न कार्यों का संचालन किया जाता है। इसमें उत्पादन, मूल्य निर्धारण, वितरण और अभिवृद्धि जैसे विभिन्न पहलुओं को व्यवस्थित करके बाजार में उत्पाद की पहचान, विपणन और विक्रय किया जाता है।
कार्य (Functions):
1. उत्पाद अथवा उत्पाद मिश्रण (Product or Product Mix): बाजार संचालन में नए उत्पाद के विकास, मौजूदा उत्पादों के रूप, रंग, कार्यक्रम, आकार, वजन, पैकेजिंग, गारंटी और सेवाओं की विक्रय पश्चात सेवाएं शामिल होती हैं।
2. मूल्य (Price): उत्पाद की विशेषताओं के आधार पर उचित मूल्य निर्धारित किया जाता है। मूल्य निर्धारण में विक्रय नीति, दर नीति, भाग की नीति, थोक और रिटेल विक्रय, एजेंसियों और वाहन व्यवस्था के मुद्दे शामिल होते हैं।
3. वितरण (Distribution): वितरण निर्णय में स्वयं के द्वारा बिक्री, थोक व्यापारी, खुदरा व्यापारी, एजेंट, वाहन संबंधी मुद्दे और व्यवस्था के माध्यम से ध्यान दिया जाता है। वितरण कार्यक्रम व्यापार के क्षेत्र और विस्तार के साथ जुड़ा होता है।
4. अभिवृद्धि (Promotion): अभिवृद्धि का उद्देश्य विक्रय में महत्वपूर्ण वृद्धि करना होता है। इसमें माल का प्रचार-प्रसारण, प्रतिष्ठा प्राप्त करना, विक्रेता व्यक्तिगत विक्रय और ग्राहकों को आकर्षित करना शामिल होता है। अभिवृद्धि से संबंधित निर्णयों के परिणामस्वरूप कई प्रकार के व्यय होते हैं, परन्तु उनसे विक्रय में वृद्धि के लाभ के लिए इकाई के लाभ में वृद्धि होती है।
इन कार्यों के माध्यम से बाजार संचालन संगठन की उत्पादकता और प्रभावीता में महत्वपूर्ण योगदान देता है और व्यवसाय के सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न 5. मानव संसाधन संचालन का अर्थ एवं इनके लक्षण समझाइए।
उत्तर: मानव संसाधन संचालन का अर्थ (Meaning of Human Resource Management)
मानव संसाधन संचालन एक प्रबंधन क्षेत्र है जो कार्यरत कर्मचारियों के प्रबंधन, उनके कौशल, ज्ञान, विकास, प्रशिक्षण, प्रेरणा, और संगठन के उद्देश्यों के साथ समंगत करता है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि कंपनी में कर्मचारियों का सबसे अच्छा उपयोग किया जाए ताकि वे संगठन के लिए अमूल्य संसाधन साबित हों।
लक्षण (Characteristics):
1. भर्ती, प्रशिक्षण और पदोन्नति: मानव संसाधन संचालन में कर्मचारियों की भर्ती, उनका प्रशिक्षण, और पदोन्नति की प्रक्रिया संभावित होती है। यह संगठन के विकास और कर्मचारियों के व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
2. कर्मचारियों के व्यक्तिगत उद्देश्य: मानव संसाधन संचालन में कर्मचारियों के व्यक्तिगत उद्देश्यों को संगठन के उद्देश्यों से मिलाकर समाहित किया जाता है।
3. मूलभूत कार्य: मानव संसाधन संचालन का मूलभूत कार्य होता है कि कर्मचारियों को संसाधन के रूप में मूल्यांकन करना और उनका प्रबंधन करना।
4. विकास कार्यवाही: कर्मचारियों के लिए योग्य प्रशिक्षण प्रदान करना और उनके विकास के लिए उचित कार्यवाही की जाती है।
5. कार्यगिरी का मूल्यांकन: कर्मचारियों की कार्यगिरी का मूल्यांकन करके उनका सही स्थान निर्धारित किया जाता है।
6. परिवर्तन संभावना: कर्मचारियों के परिवर्तन दर में सुधार व्यवस्थापकीय संचालन द्वारा संभव होता है, और कुशल कर्मचारियों को संगठन में बनाए रखा जा सकता है।
इन लक्षणों के माध्यम से मानव संसाधन संचालन संगठन के संगठनात्मक संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कर्मचारियों को उनकी संभावनाओं के अनुसार विकसित करने में मदद करता है।
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