Chapter 4 बैंकिंग और सेवाएं अर्थशास्त्र class 12th Hindi Medium solutions

 स्वाध्याय ( exercise ) 

प्रश्न 1. स्वाध्याय निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए :


1. संस्कृत भाषा के अनुसार बैंक शब्द का अर्थ क्या होगा ?

(A) मुद्रा की पूर्ति

(B) मुद्रा का भंडार

(C) पूंजीनिवेश

(D) व्यवसाय

उत्तर :

(B) मुद्रा का भंडार


2. भारत में व्यापारी बैंक के मुख्य रूप से कितने प्रकार की जमाराशि होती है ?

(A) 2

(B) 6

(C) 10

(D) 3

उत्तर :

(D) 3


3. अल्पकालीन ऋण कितने समय के लिए होता है ?

(A) 1 वर्ष तक

(B) 1 से 3 वर्ष तक

(C) 1 से 5 वर्ष तक

(D) 5 से 15 वर्ष तक

उत्तर :

(A) 1 वर्ष तक


4. मध्यस्थ बैंक अर्थात् क्या ?

(A) निजी बैंक

(B) देश की सर्वोच्च बैंक

(C) सरकारी बैंक

(D) विदेशी बैंक

उत्तर :

(B) देश की सर्वोच्च बैंक


5. RBI अन्य बैंकों के पास से अल्पकालीन समय के लिए ऋण ले तो उस दर को क्या कहते हैं ?

(A) रेपोरेट

(B) बैंक रेट

(C) रिवर्स रेपोरेट

(D) मुक्त बाज़ार की दर

उत्तर :

(C) रिवर्स रेपोरेट




6. विश्व में सर्वप्रथम बैंक की स्थापना किस देश में हुयी ?

(A) भारत

(B) इंग्लैण्ड

(C) स्पेन

(D) अमेरिका

उत्तर :

(C) स्पेन


7. 1401 में स्थापित बैंक …

(A) बैंक ऑफ बडौदा

(B) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया

(C) बैंक ऑफ अमेरिका

(D) बैंक ऑफ बार्सिलोना

उत्तर :

(D) बैंक ऑफ बार्सिलोना


8. जो मुद्रा पड़ा रहता है उसका मूल्य भविष्य में ……

(A) कम हो जाता है ।

(B) बढ़ जाता है ।

(C) स्थिर रहता है ।

(D) अस्थिर रहता है ।

उत्तर :

(A) कम हो जाता है ।


9. बैंक के मुख्य कितने प्रकार हैं ?

(A) 4

(B) 2

(C) 8

(D) 9

उत्तर :

(B) 2


10. व्यापारी बैंक किसके लिए कार्य करती है ?

(A) सेवा के लिए

(B) देश के लिए

(C) लाभ के लिए

(D) हानि के लिए

उत्तर :

(C) लाभ के लिए


प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए :


1. बैंक का अर्थ बताइए।


उत्तर:  बैंक वह संस्था है जो बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करती है। इसका मतलब यह है कि बैंक एक ऐसी संस्था होती है जो लोगों की बचत को एकत्रित करती है और इस राशि को वापस करने की शर्त पर ऋण के रूप में प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में, बैंक की प्रमुख भूमिका लोगों की जमा पूंजी को इकट्ठा करना और फिर उसे आवश्यकता पड़ने पर ऋण के रूप में देने की होती है।


2. व्यापारी बैंक का अर्थ बताइए।


उत्तर: व्यापारी बैंक वह बैंक होती है जो मुद्रा के विनिमय से मुनाफा कमाने के उद्देश्य से व्यवसाय करती है। इसका मतलब है कि व्यापारी बैंक का मुख्य काम विदेशी मुद्राओं का आदान-प्रदान करके लाभ कमाना है। यह बैंक मुख्य रूप से व्यापारिक लेन-देन में विशेषज्ञता रखती है और विदेशी व्यापार को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


3. मध्यस्थ बैंक का अर्थ बताइए। 


उत्तर: मध्यस्थ बैंक से तात्पर्य देश की सर्वोच्च बैंक से है, जो मुद्रा बाजार और बैंकिंग क्षेत्र को सहायता, नियंत्रण, और प्रोत्साहन प्रदान करती है। इसके मुख्य कार्यों में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना, देश के आर्थिक हितों की सुरक्षा करना, और मुद्राकीय स्थिरता लाना शामिल है। इसे केंद्रीय बैंक भी कहा जाता है, जो देश की समग्र आर्थिक नीतियों और व्यवस्थाओं पर नजर रखती है।


4. मुद्राकीय नीति का अर्थ बताइए। 


उत्तर: मुद्राकीय नीति वह नीति है जिसे देश की सर्वोच्च बैंक (केंद्रीय बैंक) द्वारा आर्थिक स्थिरता और विकास की दिशा में कार्य करने के लिए बनाई जाती है। इसका उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर और स्वस्थ बनाए रखना है। इस नीति के तहत केंद्रीय बैंक मुद्रा की पूर्ति को नियंत्रित करती है, जिससे आर्थिक विकास प्रक्रिया को दिशा मिलती है और जनहितों की सुरक्षा होती है।


5. मुद्राकीय नीति के परिमाणात्मक साधन अर्थात् क्या?


उत्तर: परिमाणात्मक साधन वे उपकरण होते हैं जो समग्र अर्थव्यवस्था को समान रूप से प्रभावित करते हैं। इन्हें सामान्य साधन भी कहा जाता है। परिमाणात्मक साधनों का प्रयोग केंद्रीय बैंक द्वारा किया जाता है ताकि देश की मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित किया जा सके और समग्र आर्थिक स्थिरता प्राप्त की जा सके। उदाहरण के लिए, बैंक दरें, रिजर्व आवश्यकताएँ, और ओपन मार्केट ऑपरेशंस आदि।


6. मुद्राकीय नीति के गुणात्मक साधन अर्थात् क्या?


उत्तर: गुणात्मक साधन वे उपकरण होते हैं जिन्हें केंद्रीय बैंक विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयोग करता है जो तर्कसंगत रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन साधनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि अर्थव्यवस्था के विशिष्ट क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता हो। ये साधन मुख्य रूप से आर्थिक विकास के उन क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने में सहायक होते हैं जिनकी अर्थव्यवस्था में विशिष्ट भूमिका होती है। गुणात्मक साधनों में मार्जिन आवश्यकताओं का समायोजन, ऋण की सीमाएं, और विशिष्ट उधार नीतियाँ शामिल होती हैं।


7. विश्व में सर्वप्रथम किस बैंक की स्थापना कब हुयी?


उत्तर: विश्व में सबसे पहले स्थापित होने वाला बैंक बैंक ऑफ बर्सिलोना था, जिसकी स्थापना 1401 में स्पेन में हुई थी। यह बैंकिंग इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था और आधुनिक बैंकिंग प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बैंक ऑफ बर्सिलोना ने व्यापार और वित्तीय लेन-देन के लिए नई प्रक्रियाओं और सेवाओं की शुरुआत की, जिसने इसे उस समय का अग्रणी बैंक बना दिया।


8. बैंक का विस्तृत अर्थ दीजिए।


उत्तर: बैंक एक ऐसी संस्था होती है जो लाभ के उद्देश्य से कार्य करती है और सार्वजनिक बचत को विनियोग के रूप में स्वीकार करती है। बैंक न केवल बचत पर ब्याज देती है बल्कि उसे सुरक्षित भी रखती है। इसके अलावा, यह जमा पूंजी को लोगों की जरूरत के अनुसार ऋण के रूप में भी उपलब्ध कराती है और इस ऋण पर ब्याज वसूलती है। बैंक के माध्यम से me एकत्रित धन का उपयोग देश के विकास के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए भी किया जाता है। इस प्रकार, बैंकिंग प्रणाली आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


9. सामान्य रूप से बैंक के मुख्य कितने प्रकार हैं? कौन-कौन से



उत्तर: सामान्य रूप से बैंकों को दो मुख्य प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:


1. व्यापारी बैंक : ये बैंक मुख्यतः मुद्रा का विनिमय करके मुनाफा कमाने के उद्देश्य से कार्य करते हैं। इनका मुख्य ध्यान व्यापारिक लेन-देन और विदेशी मुद्रा विनिमय पर होता है।

   

2. मध्यस्थ बैंक: इन्हें केंद्रीय बैंक भी कहा जाता है, और इनका कार्य देश की मुद्रा नीति, बैंकिंग प्रणाली, और आर्थिक स्थिरता को नियंत्रित करना होता है। ये बैंक पूरे बैंकिंग और वित्तीय ढांचे के लिए नियामक के रूप में कार्य करते हैं।


10. अल्पकालीन समय का ऋण किसे कहते हैं?


उत्तर: अल्पकालीन समय का ऋण वह ऋण होता है जो एक वर्ष तक के लिए लिया जाता है। इस प्रकार के ऋण आमतौर पर तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि परिचालन खर्च, व्यापारिक माल की खरीद, या अन्य अल्पकालिक वित्तीय जरूरतें। इन ऋणों की वापसी अवधि छोटी होती है और इन्हें जल्दी से चुकाया जाना अपेक्षित होता है।


11. मध्यमकाल का ऋण किसे कहते हैं? 


उत्तर: मध्यमकाल का ऋण वह ऋण होता है जो एक वर्ष से अधिक और पांच वर्ष तक की अवधि के लिए लिया जाता है। इस प्रकार के ऋण आमतौर पर अधिक स्थायी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए होते हैं, जैसे कि उपकरण की खरीद, परियोजना वित्तपोषण, या स्थायी कार्यशील पूंजी की आवश्यकताएँ। मध्यमकालीन ऋणों की वापसी अवधि मध्यम होती है और ये अल्पकालीन और दीर्घकालीन ऋणों के बीच संतुलन बनाते हैं।


12. दीर्घकालीन ऋण में कितने वर्ष तक के ऋण का समावेश किया जाता है?


उत्तर: दीर्घकालीन ऋण वह ऋण होता है जिसकी अवधि 15 वर्ष तक हो सकती है। इस प्रकार के ऋण आमतौर पर दीर्घकालीन परियोजनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, और बड़े पूंजीगत व्यय को वित्तपोषित करने के लिए लिए जाते हैं। दीर्घकालीन ऋण की वापसी अवधि लंबी होती है, जो उधारकर्ताओं को विस्तारित अवधि में भुगतान करने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे उनके वित्तीय बोझ को कम किया जा सके।


प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में लिखिए ।


1. बैंक शब्द का उद्भव किस प्रकार हुआ?


उत्तर: बैंक शब्द का उद्भव एक लंबे ऐतिहासिक विकास का परिणाम है। अंग्रेजी में 'बैंक' का अर्थ समूह या जत्था होता है। संस्कृत में बैंक से संबंधित शब्द 'भांड' है, जिसका मतलब पूँजी का समूह हो सकता है और इससे 'भंडार' शब्द बना है। अंग्रेजी में 'बैंक' शब्द फ्रांसीसी और इतालवी शब्दों 'Banca' और 'Banque' से आया है। प्राचीन यूरोप में, सुनार एक बेंच पर बैठकर मुद्रा का आदान-प्रदान करते थे और विभिन्न प्रदेशों की मुद्राओं को बदलते थे। इस प्रक्रिया में बेंच पर मुद्रा के जत्थे का आदान-प्रदान होता था, जिससे 'बैंक' शब्द का प्रचलन शुरू हुआ और अंग्रेजी भाषा में यह शब्द इस्तेमाल होने लगा।


2. व्यापारी बैंक के खातों के बारे में बताइए।


उत्तर: व्यापारी बैंकों में खातों के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं, जो विभिन्न प्रकार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए गए हैं:


1. चालू खाता: यह खाता विशेष रूप से व्यापारियों और कंपनियों के लिए होता है, जिनके लिए बार-बार लेन-देन की आवश्यकता होती है। इसमें धन जमा करने और निकालने पर कोई सीमा नहीं होती।

   

2. बचत खाता: यह खाता व्यक्तिगत ग्राहकों के लिए होता है, जहां वे अपनी बचत जमा करते हैं और इस पर ब्याज प्राप्त करते हैं। यह खाते वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित करते हैं और बचत को बढ़ावा देते हैं।

   

3. रिकरिंग खाता: इस खाते में ग्राहक एक निश्चित समयांतराल पर एक निश्चित राशि जमा करते हैं। यह खाते नियमित बचत को प्रोत्साहित करते हैं और ग्राहकों को एक निश्चित अवधि के बाद एक बड़ी राशि प्राप्त करने में मदद करते हैं।

   

4. समयावधि खाता: इस खाते में धन एक निश्चित अवधि के लिए जमा किया जाता है, और इस पर अपेक्षाकृत उच्च ब्याज दर मिलती है। यह खाते लंबी अवधि की बचत और निवेश के लिए उपयोगी होते हैं।


3. मौद्रिक नीति के गुणात्मक साधन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर: मौद्रिक नीति के गुणात्मक साधन केंद्रीय बैंक द्वारा विशेष क्षेत्रों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपाय हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:


1. सुरक्षा की आवश्यकता: जब कोई व्यक्ति बैंक से ऋण लेता है, तो बैंक को यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतनी पड़ती है कि ऋण वापस मिल सके। इसलिए, बैंक उधारकर्ता से गारंटी के रूप में कुछ संपत्ति, जैसे गहने, बचत, कार, घर, या जमीन लेती है। यदि ग्राहक ऋण वापस नहीं कर पाता, तो बैंक इस संपत्ति को जप्त कर सकती है।

   

2. मार्जिन की आवश्यकता: ऋण देने के लिए गारंटी के रूप में दी गई संपत्ति का केवल एक निश्चित प्रतिशत ही ऋण के रूप में दिया जाता है। इस प्रतिशत को मार्जिन कहते हैं, जो सुनिश्चित करता है कि बैंक के पास पर्याप्त सुरक्षा हो।

   

3. ऋण की महत्तम मर्यादा: किसी भी एक व्यक्ति या इकाई को दिया जाने वाला अधिकतम ऋण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह मर्यादा सुनिश्चित करती है कि बैंक अधिक जोखिम में न जाए और वित्तीय स्थिरता बनी रहे।

   

4. भेदभावपूर्ण ब्याज की दर: RBI विभिन्न प्रकार के ऋणों के लिए अलग-अलग ब्याज दरें निर्धारित करता है। इससे विभिन्न वित्तीय आवश्यकताओं को उचित तरीके से पूरा किया जा सकता है और वित्तीय प्रणाली में संतुलन बना रहता है। अलग-अलग प्रकार के ऋणों के लिए विभिन्न ब्याज दरों को निर्धारित करके, RBI सुनिश्चित करता है कि विभिन्न क्षेत्रों की वित्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए।


4. मध्यस्थ बैंक के कार्यों को संक्षिप्त में समझाइए।


उत्तर: मध्यस्थ बैंक, जिसे सामान्यतः केंद्रीय बैंक या रिजर्व बैंक कहा जाता है, के कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं जो देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर और समृद्ध बनाए रखने में सहायक होते हैं। इसके कार्यों को निम्नलिखित रूप में संक्षेप में समझाया जा सकता है:


1. मुद्रा का प्रकाशन: मध्यस्थ बैंक केवल एक रुपये के सिक्कों को छोड़कर शेष सभी मुद्रा का प्रकाशन करती है। यह सुनिश्चित करता है कि देश में पर्याप्त मात्रा में मुद्रा उपलब्ध हो और यह भी कि मुद्रा का उत्पादन और वितरण नियंत्रित रूप से हो।

   

2. सरकारी बैंक के रूप में कार्य: मध्यस्थ बैंक केंद्र और राज्य सरकारों के लिए मौद्रिक एजेंट और सलाहकार के रूप में कार्य करता है। यह सरकार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करता है और उन्हें आर्थिक नीतियों में सलाह देता है।

   

3. बैंकों की बैंक: मध्यस्थ बैंक अन्य बैंकों के लिए अंतिम सहायक के रूप में कार्य करता है। यह अन्य बैंकों को आवश्यकतानुसार ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

   

4. विनियमन और देखरेख: मध्यस्थ बैंक वित्तीय प्रणाली के स्थायित्व के लिए बैंकिंग शाखाओं का नियमन और विदेशी पूंजी का संरक्षण करता है। यह सुनिश्चित करता है कि बैंकों की गतिविधियाँ कानून के दायरे में हों और वे वित्तीय स्थिरता बनाए रखें।


मध्यस्थ बैंक के अतिरिक्त कार्य:


1. जमाराशि स्वीकार करना: मध्यस्थ बैंक लोगों की बचत को विभिन्न प्रकार के खातों में जमा करती है और उस पर ब्याज देती है। यह खाते निम्न प्रकार के होते हैं:


   - चालू खाता: व्यापारियों और कंपनियों के लिए होता है, जिसमें लेन-देन की कोई सीमा नहीं होती।

   - बचत खाता: व्यक्तिगत बचतों को जमा करने के लिए होता है, जिस पर ब्याज मिलता है।

   - रिकरिंग खाता: इसमें नियमित अंतराल पर निश्चित राशि जमा की जाती है, जो बचत को प्रोत्साहित करता है।

   - समयावधि खाता: इस खाते में राशि एक निश्चित अवधि के लिए जमा की जाती है, जिस पर उच्च ब्याज मिलता है।


2. ऋण देना: मध्यस्थ बैंक अपने ग्राहकों को अल्पकालीन, मध्यमकालीन और दीर्घकालीन ऋण प्रदान करता है। यह ऋण व्यवसाय और व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए होता है।


3. निकासी और अतिरिक्त निकासी की सुविधा: बैंक ग्राहकों को चेक, निकासी पत्र, ड्राफ्ट, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एटीएम, और इंटरनेट बैंकिंग जैसी सुविधाओं के माध्यम से आसानी से मुद्रा की निकासी और अतिरिक्त निकासी की सुविधा प्रदान करता है।


4. शाख मुद्रा का सर्जन: बैंक प्राथमिक जमा राशि का कई गुना अधिक ऋण दे सकते हैं, जिससे मुद्रा का विस्तार होता है। यह बैंकिंग प्रणाली की आधारभूत प्रक्रिया है जिससे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलता है।


5. आंतर बैंकिंग व्यवहार: एक बैंक दूसरी बैंक को अल्पकालीन या दीर्घकालीन ऋण देती है। अल्पकालीन ऋण को "कॉल मनी" कहा जाता है और यह मध्यस्थ बैंक की भूमिका में महत्वपूर्ण होता है।


व्यापारी बैंक के गौण कार्य:


1. ग्राहकों के एजेंट के रूप में कार्य: बैंक अपने ग्राहकों को कई सेवाएँ प्रदान करता है जैसे आयात और निर्यात प्रमाणपत्र, गारंटी, कर भुगतान, बीमा प्रीमियम भरना और कीमती वस्तुओं की सुरक्षा।


2. आधुनिक सेवाएँ:  समय के साथ बैंकों ने अपने सेवाओं का नवीनीकरण किया है। अब चेक के बिना ही NEFT, RTGS जैसी सेवाओं के माध्यम से मुद्रा का ट्रांसफर संभव है। यह CORE बैंकिंग सेवा के माध्यम से संभव होता है, जो बैंकों के कार्य को आधुनिक और कुशल बनाता है।


इन कार्यों के माध्यम से मध्यस्थ बैंक और व्यापारी बैंक दोनों देश की आर्थिक प्रणाली को सुचारू और स्थिर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


3. मध्यस्थ बैंक के परिमाणात्मक और गुणात्मक कार्यों की सूची देकर प्रत्येक कार्य को एक वाक्य में समझाइए।


उत्तर: (1) मध्यस्थ बैंक के परिमाणात्मक (मौद्रिक) कार्य: 


1. चलनी मुद्रा का सर्जन: मध्यस्थ बैंक रु. 2 और उससे अधिक की नोटों का निर्माण और वितरण करती है, जिससे देश में मुद्रा का पर्याप्त संचलन सुनिश्चित होता है।

   

2. सरकार की बैंक के रूप में कार्य: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया केंद्र और राज्य सरकारों के लिए बैंकिंग सेवाएं प्रदान करती है, और उनकी मौद्रिक एजेंट और सलाहकार के रूप में कार्य करती है।

   

3. बैंकों की बैंक और अंतिम सहायक के रूप में कार्य: RBI सभी अनुसूचित बैंकों की नकद आरक्षण का संचालन करती है, उनकी ऋण नीति और ब्याज दरों को नियंत्रित करती है, और जरूरत पड़ने पर अंतिम सहायक के रूप में कार्य करती है।

   

4. शाख नियमन का कार्य: RBI विभिन्न मौद्रिक साधनों की सहायता से व्यापारी बैंकों की शाखाओं के विस्तार और मुद्रा आपूर्ति का नियमन करती है।

   

5. विदेशी मुद्रा को बनाए रखने का कार्य: RBI विदेशी मुद्रा की दर को कानूनी रूप से स्थिर रखने के लिए विनिमय दर निर्धारित करती है और भारत के चलन का मूल्य अन्य देशों की मुद्राओं के मुकाबले बनाए रखती है।


(2) रिजर्व बैंक के गुणात्मक कार्य:


1. नियमन और देखरेख रखने का कार्य: RBI भारत के समग्र पूंजी बाजार और मुद्रा बाजार की देखरेख और नियमन करती है ताकि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हो सके।

   

2. प्रोत्साहन कार्य: RBI लोगों को बैंक में खाते खोलने और बैंकिंग व्यवहार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे वित्तीय समावेशन बढ़ सके।

   

3. आर्थिक विकास प्राप्त करना: मध्यस्थ बैंक निष्क्रिय बचतों को एकत्रित कर उन्हें कृषि, व्यापार, और उद्योग जैसे क्षेत्रों में निवेश करने के लिए उपयोग करती है, जिससे आर्थिक विकास और नए व्यापारों को प्रोत्साहन मिलता है।


4. व्यापारी बैंक के शाखसर्जन की प्रक्रिया को उदाहरण सहित समझाइए।


उत्तर: व्यापारी बैंकों के शाखसर्जन की प्रक्रिया को समझने के लिए हमें यह जानना आवश्यक है कि बैंक किस प्रकार जमा राशि के आधार पर ऋण प्रदान करते हैं और मुद्रा का सृजन करते हैं। इसे समझाने के लिए निम्नलिखित उदाहरण प्रस्तुत किया गया है:


माना कि किसी अर्थव्यवस्था में केवल एक ही बैंक है, जो प्राथमिक जमाराशि के रूप में 10,000 रुपये प्राप्त करता है। बैंक को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह कुल जमा राशि का 10% नकद के रूप में आरक्षित रखे। इसका मतलब यह हुआ कि 10,000 रुपये का 10% यानी 1,000 रुपये नकद आरक्षित रखकर शेष 9,000 रुपये का ऋण प्रदान कर सकता है। 


अब, जब यह 9,000 रुपये का ऋण किसी व्यवसाय या व्यक्ति को दिया जाता है, तो वह इसे अपने कार्यों में उपयोग करेगा, और यह राशि किसी अन्य रूप में वापस बैंक में जमा हो जाएगी। मान लीजिए यह राशि बैंक में चालू खाते के रूप में वापस आती है, तो बैंक फिर से 9,000 रुपये का 10% यानी 900 रुपये नकद आरक्षित रखकर शेष 8,100 रुपये का ऋण दे सकता है। इस प्रक्रिया को हम आगे भी जारी रख सकते हैं। 


इस प्रकार, बैंक 10,000 रुपये की प्राथमिक जमाराशि के आधार पर 1,00,000 रुपये का शाखसर्जन कर सकता है। इस पूरी प्रक्रिया का आधार जमा रकम का गुणक मूल्य है, जो नकद आरक्षित अनुपात के विपरीत होता है।


गणितीय दृष्टिकोण से, जमा रकम का गुणक (k) इस प्रकार है:

k = \frac{1}{r} 

जहाँ ( r ) नकद आरक्षित अनुपात है।


यदि ( r = 10% \) या 0.1 है, तो:

k = \frac{1}{0.1} = 10 


इस प्रकार, यदि प्राथमिक जमा रकम 10,000 रुपये है, तो शाखसर्जन = 10,000 \times 10 = 1,00,000 रुपये होगा। 


इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि बैंक किस प्रकार जमा राशि का अनेक गुना शाख मुद्रा का सर्जन कर सकते हैं। 


दूसरी दृष्टि से, हम इस प्रक्रिया को निम्न सूत्र द्वारा भी समझ सकते हैं:

शाखसर्जन = \frac{प्राथमिक जमाराशि}{नकद आरक्षित अनुपात} 


उपरोक्त उदाहरण के अनुसार:

शाखसर्जन = \frac{10,000}{0.1} = 1,00,000 रुपये 


इस प्रकार, बैंक 1,00,000 रुपये का शाखसर्जन करती है। 


इस प्रक्रिया के माध्यम से अर्थतंत्र में मुद्रा का विस्तारण और संकुचन नियंत्रित किया जाता है। इस प्रकार, मध्यस्थ बैंक का मुख्य कार्य अर्थव्यवस्था में मौद्रिक स्थिरता बनाए रखना और बैंकिंग प्रणाली को समर्थन और प्रोत्साहन देना है।


प्रश्न 4: मुद्राकीय नीति के गुणात्मक साधनों की चर्चा कीजिए।


उत्तर: मुद्राकीय नीति के गुणात्मक साधन विशिष्ट क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये साधन सभी क्षेत्रों पर एक समान प्रभाव नहीं डालते, बल्कि वे केवल आवश्यक और तर्कसंगत उपयोग के लिए ही प्रयुक्त होते हैं। यहां हम मुद्राकीय नीति के कुछ प्रमुख गुणात्मक साधनों की चर्चा करेंगे:


1. सुरक्षा की आवश्यकता:  जब बैंके जनता को ऋण प्रदान करती हैं, तो वे इस बात का ध्यान रखती हैं कि ऋण राशि वापस मिल सके। इसके लिए, बैंकें उधारकर्ताओं से संपत्ति जैसे गहने, बचत खाते, घर, जमीन आदि को गारंटी के रूप में लेती हैं। अगर ग्राहक ऋण वापस नहीं करता, तो बैंक इन संपत्तियों को जप्त कर लेती हैं। लेकिन, देश के प्रत्येक वर्ग को ऋण की सुविधा मिले, इस उद्देश्य से, RBI बैंकों को निर्देश देती है कि वे अलग-अलग वर्गों के लिए कम सुरक्षा/गारंटी की आवश्यकता अपनाएं, जिससे कृषि और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों का समान विकास हो सके।


2. मार्जिन की आवश्यकता: मार्जिन का तात्पर्य सुरक्षा/गारंटी के रूप में दी गई संपत्ति के एक निश्चित प्रतिशत या मांगी गई लोन राशि के एक हिस्से से है, जो ऋण के रूप में दी जाती है। इस प्रतिशत को ऋण का मार्जिन कहा जाता है। RBI अलग-अलग वर्गों और क्षेत्रों के लिए विभिन्न मार्जिन आवश्यकताओं की सिफारिश करती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऋण का उपयोग प्रभावी और सुरक्षित तरीके से हो।


3. ऋण की अधिकतम मर्यादा: किसी भी व्यक्ति या इकाई के लिए ऋण की अधिकतम सीमा RBI द्वारा निश्चित की जाती है। यह सीमा तय करने का उद्देश्य यह है कि एक ही व्यक्ति या इकाई को अत्यधिक ऋण ना मिल सके, जिससे आर्थिक स्थिरता और ऋण जोखिम को नियंत्रित किया जा सके।


4. भेदभावपूर्ण ब्याज दर: RBI अलग-अलग प्रकार के ऋण के लिए विभिन्न ब्याज दरों की नीति अपनाने की सिफारिश करती है। इसे भेदभावपूर्ण ब्याज दर की नीति कहा जाता है। उदाहरण के लिए, गरीब किसानों को कृषि कार्यों के लिए कम ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है, जबकि धनवान व्यक्तियों को घर या कार खरीदने के लिए ऊंची ब्याज दर पर ऋण मिलता है। इस नीति का उद्देश्य यह है कि आर्थिक विकास को संतुलित और न्यायसंगत तरीके से प्रोत्साहित किया जा सके।


निष्कर्ष: गुणात्मक साधनों का उपयोग विशेष क्षेत्रों को विकसित करने और आर्थिक असंतुलन को कम करने के लिए किया जाता है। इन साधनों के माध्यम से RBI यह सुनिश्चित करती है कि वित्तीय संसाधनों का वितरण अधिक प्रभावी और न्यायपूर्ण हो, जिससे समग्र आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ावा मिले।


प्रश्न 5: स्थानांतरण के सकारात्मक असरों की विस्तृत चर्चा कीजिए


उत्तर: स्थानांतरण, चाहे वह किसी भी रूप में हो, समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरे प्रभाव डालता है। इसके नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव होते हैं। यहाँ हम स्थानांतरण के सकारात्मक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।


1. आय में वृद्धि: स्थानांतरण का मुख्य उद्देश्य बेहतर आय प्राप्त करना होता है। जब लोग गाँव से शहर में काम करने के लिए जाते हैं, तो वे अपनी कमाई का एक हिस्सा अपने परिवार को भेजते हैं। इस धन से गाँव में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर सुधारता है। उदाहरण के लिए, शहर में काम करने वाला व्यक्ति अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गाँव में भेजता है, जिससे गाँव में आर्थिक गतिविधियों में निवेश होता है। इससे कृषि की उपज में वृद्धि होती है और जमीन की उर्वरता बढ़ती है। इसके अलावा, इन आय का एक हिस्सा उद्योग-धंधों में भी निवेश किया जाता है, जिससे कृषि संबंधी उद्योगों का विकास होता है। इस प्रकार, स्थानांतरण के द्वारा आय में वृद्धि एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक पहलू है।


2. देश के तीव्र आर्थिक विकास में योगदान: जब लोग विदेशों में स्थानांतरण करते हैं, तो वे अपनी कमाई का एक हिस्सा अपने देश में निवास करने वाले परिवार वालों को भेजते हैं। इस धन से देश में विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ती है, जो देश के आर्थिक विकास में योगदान करती है। उदाहरण के लिए, 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद से, भारत में विदेशी मुद्रा की निरंतर वृद्धि से आर्थिक विकास में तेजी आई है। इसके अलावा, विदेशों में अध्ययन करने वाले लोग उच्चतम कौशल और तकनीकी ज्ञान प्राप्त करके अपने देश में लागू करते हैं, जिससे देश के विकास की गति बढ़ती है।


3. कौशल और ज्ञान का विकास: स्थानांतरण के माध्यम से लोग नए कौशल और ज्ञान प्राप्त करते हैं। जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं, तो वे वहां की नई तकनीकों, शिक्षा, और उद्योगों से परिचित होते हैं। यह ज्ञान और कौशल वे अपने मूल स्थान पर वापस लौटने पर लागू कर सकते हैं, जिससे वहां के विकास में योगदान होता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने देश में लौटता है और वहां की नवीनतम तकनीकों को लागू करता है, जिससे वहां के उद्योगों और शिक्षा प्रणाली में सुधार होता है।


4. संस्कृति और अनुभव का आदान-प्रदान: स्थानांतरण के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता है। जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं, तो वे नई संस्कृति, रहन-सहन, भाषा, और रीति-रिवाजों से परिचित होते हैं। यह अनुभव उनके व्यक्तित्व और दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। वे अपने मूल स्थान पर वापस लौटने पर इन नई संस्कृतियों और अनुभवों को साझा करते हैं, जिससे वहां की समाजिक संरचना में विविधता और समृद्धि आती है।


इस प्रकार, स्थानांतरण के कई सकारात्मक पहलू हैं जो व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। ये प्रभाव न केवल आर्थिक होते हैं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।



 प्रश्न 6: स्थानांतरण के नकारात्मक प्रभाव (असरों) की चर्चा कीजिए


उत्तर: स्थानांतरण के सकारात्मक प्रभावों के साथ-साथ इसके नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। यह अनिच्छनीय घटनाओं और समस्याओं को जन्म दे सकता है। निम्नलिखित नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा की जा सकती है:


1. अनियंत्रित शहरीकरण: गाँवों से शहरों की ओर स्थानांतरण के कारण अनियंत्रित शहरीकरण होता है। शहरों में आने वाले अधिकतर लोग अल्पशिक्षित, अकुशल और अल्प कौशल वाले होते हैं। नीची आय के कारण उन्हें शहर के अंतिम छोर पर निवास करना पड़ता है, जिससे झोपड़पट्टी और गंदे क्षेत्रों का निर्माण होता है। यह अनियंत्रित शहरीकरण कई सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को जन्म देता है।


2. ढाँचागत सुविधाओं का अपर्याप्त प्रमाण: अनियंत्रित शहरीकरण के कारण शहरों में झोपड़पट्टी और गंदे आवासों की समस्या उत्पन्न होती है। स्थानीय प्रशासन को इन क्षेत्रों में पर्याप्त प्रमाण में पानी, ड्रेनेज, बिजली, सड़कें, वाहनव्यवहार, संदेशाव्यवहार, शौचालय, शिक्षा, स्कूल, और स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने में कठिनाई होती है। परिणामस्वरूप, इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग अनेक बीमारियों के शिकार होते हैं और स्वच्छता की समस्या गंभीर हो जाती है।


3. पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या: स्थानांतरण के कारण झोपड़पट्टी और गंदे क्षेत्रों का निर्माण होता है। इन क्षेत्रों में शौचालय और ड्रेनेज की अपर्याप्त सुविधाएँ होती हैं, और कचरे का उचित निष्पादन नहीं होता है, जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण होता है। उदाहरण के लिए, अहमदाबाद, अंकलेश्वर, सूरत, मुम्बई, कोलकाता, और दिल्ली जैसे शहरों में यह समस्या स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। अत्याधिक शहरीकरण के कारण वाहनों की संख्या बढ़ने से ट्राफिक की समस्या और प्रदूषण भी बढ़ता है। साथ ही, ध्वनिप्रदूषण और जलप्रदूषण की समस्या भी गंभीर होती जा रही है।


4. सामाजिक दूषण: जब गाँव से शहरों में स्थानांतरण करके लोग आते हैं, तो उन्हें उनकी अपेक्षा के अनुसार नियमित आय या रोजगार नहीं मिलता है। परिणामस्वरूप, इनमें से कुछ लोग चोरी, लूट, और अन्य असामाजिक गतिविधियों में संलग्न हो जाते हैं। इससे शहरों का सामाजिक संतुलन बिगड़ जाता है। इसे सामाजिक दूषण कहते हैं। स्थानांतरण के परिणामस्वरूप, प्रजा के बीच भाषा-संस्कृति, रहन-सहन आदि में अंतर होने से सामाजिक संघर्ष उत्पन्न होते हैं।


इस प्रकार, स्थानांतरण के नकारात्मक प्रभाव समाज और पर्यावरण दोनों पर ही गंभीर असर डालते हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए सटीक योजनाएँ और नीतियाँ बनाना आवश्यक है ताकि स्थानांतरण के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ावा दिया जा सके और नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।

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