वाणिज्यिक व्यवस्था और संचालन पाठ 4 व्यवस्थातंत्र System समाधान
स्वाध्याय ( exercise )
प्रश्न 1: निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए ।
प्रश्न 1: एक से अधिक व्यक्तियों का सामूहिक रूप से कार्य करना ताकि वे समान उद्देश्यों को प्राप्त कर सकें, इस हेतु जो ढाँचा बनाया जाता है उसे क्या कहा जाता है?
- (A) आयोजन
- (B) व्यवस्थातंत्र
- (C) नियंत्रण
- (D) मार्गदर्शन
उत्तर:(B) व्यवस्थातंत्र
विस्तार: व्यवस्थातंत्र का तात्पर्य है एक संरचना या फ्रेमवर्क, जो कई व्यक्तियों को मिलकर एक सामूहिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य करने की अनुमति देता है। यह एक ऐसा ढाँचा होता है जिसमें हर व्यक्ति की भूमिका और जिम्मेदारियाँ स्पष्ट होती हैं, जिससे समन्वय और सहयोग आसानी से हो सके।
प्रश्न 2: कार्य के विभाजन से कौन-सी चीज़ सम्भव हो सकती है?
- (A) विशिष्टीकरण
- (B) आयोजन
- (C) संकलन
- (D) मार्गदर्शन
उत्तर:(A) विशिष्टीकरण
विस्तार: विशिष्टीकरण का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह का एक विशेष कार्य या कौशल में निपुण होना। कार्यों के विभागीकरण से विभिन्न कार्यों को विशिष्ट व्यक्तियों या टीमों को सौंपा जाता है, जिससे उन कार्यों में विशेषज्ञता और दक्षता बढ़ती है।
प्रश्न 3: किस व्यवस्थातंत्र को सेनाओं का व्यवस्थातंत्र कहा जाता है?
- (A) श्रेणिक
- (B) कार्यानुसार
- (C) रैखीय
- (D) अनौपचारिक
उत्तर:(C) रैखीय
विस्तार: रैखीय व्यवस्थातंत्र में अधिकार और उत्तरदायित्व की श्रृंखला सीधी होती है, जैसे सेना में आदेश शीर्ष से नीचे तक एक सीधी रेखा में जाते हैं। इसमें प्रत्येक स्तर पर एक व्यक्ति अपने अधीनस्थों को आदेश देता है और ऊपर के स्तर से आदेश प्राप्त करता है।
प्रश्न 4: किस व्यवस्थातंत्र में कार्य की अपेक्षाकृत विभाग को अधिक महत्त्व दिया जाता है?
- (A) रैखीय
- (B) कार्यानुसार
- (C) अनौपचारिक
- (D) श्रेणिक
उत्तर: (B) कार्यानुसार
विस्तार: कार्यानुसार व्यवस्थातंत्र में विभाग की बजाय कार्यों पर अधिक जोर दिया जाता है। इसमें विभिन्न विभागों के बजाय कार्य या परियोजना की आवश्यकताओं के आधार पर प्रबंधन किया जाता है, जिससे कार्य की प्रभावशीलता और कुशलता बढ़ती है।
प्रश्न 5: मानव सम्बन्धों के आधार पर स्वाभाविक रूप से निर्मित मानव सम्बन्धों का जाल किस नाम से जाना जाता है?
- (A) अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र
- (B) रैखीय व्यवस्थातंत्र
- (C) औपचारिक व्यवस्थातंत्र
- (D) श्रेणिक व्यवस्थातंत्र
उत्तर: (A) अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र
विस्तार: अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र का तात्पर्य है एक ऐसा नेटवर्क जो स्वाभाविक रूप से लोगों के बीच मानव सम्बन्धों के आधार पर बनता है, जो औपचारिक संरचना से स्वतंत्र होता है। यह व्यक्तिगत संबंधों और सामाजिक समूहों के माध्यम से संचालित होता है।
प्रश्न 6: तल स्तर पर आदेश प्राप्त करने वाला व्यक्ति क्या कहलाता है?
- (A) अधिनस्थ
- (B) उच्च
- (C) प्रोजेक्ट मैनेजर
- (D) अधिकारी
उत्तर: (A) अधिनस्थ
विस्तार: अधिनस्थ वे व्यक्ति होते हैं जो संगठन में निचले स्तर पर कार्य करते हैं और अपने वरिष्ठ अधिकारियों से आदेश प्राप्त करते हैं। वे अपने उच्च अधिकारियों के निर्देशों का पालन करते हैं और अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
प्रश्न 7: प्रोजेक्ट ढाँचा और सामान्य ढाँचे के संयोजन से निर्मित व्यवस्थातंत्र को क्या कहा जाता है?
- (A) श्रेणिक व्यवस्थातंत्र
- (B) रैवीय व्यवस्थातंत्र
- (C) कार्यानुसार व्यवस्थातंत्र
- (D) औपचारिक व्यवस्थातंत्र
उत्तर: (A) श्रेणिक व्यवस्थातंत्र
विस्तार: श्रेणिक व्यवस्थातंत्र में प्रोजेक्ट आधारित ढाँचे और सामान्य ढाँचे का मिश्रण होता है। इसमें विभिन्न परियोजनाओं और सामान्य संचालन की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रबंधन और संचालन किया जाता है।
प्रश्न 8: ऐसी इकाइयों को क्या कहा जाता है जिसमें समस्त सत्ता उच्च संचालकों के पास केन्द्रित होती है?
- (A) विकेन्द्रीकरण
- (B) केन्द्रीकरण
- (C) विपूँजीकरण
- (D) ध्रुवीकरण
उत्तर: (B) केन्द्रीकरण
विस्तार: केन्द्रीकरण एक ऐसी प्रणाली है जिसमें संगठन की सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने की शक्ति शीर्ष प्रबंधन के हाथों में केन्द्रित होती है। इसमें निचले स्तर के कर्मचारियों का निर्णय लेने में सीमित भूमिका होती है।
प्रश्न 9: भावी संचालकों को तैयार करने के लिए इनमें से क्या अपनाना चाहिए?
- (A) विकेन्द्रीकरण
- (B) केन्द्रीकरण
- (C) विपूँजीकरण
- (D) श्रम विभाजन
उत्तर:(A) विकेन्द्रीकरण
विस्तार: विकेन्द्रीकरण में निर्णय लेने की शक्ति और अधिकारों को संगठन के विभिन्न स्तरों में वितरित किया जाता है, जिससे निचले स्तर के प्रबंधकों को अधिक जिम्मेदारियाँ और अवसर मिलते हैं। इससे वे भावी संचालक बनने के लिए तैयार होते हैं।
प्रश्न 10: इनमें से क्या सौंपा नहीं जा सकता?
- (A) अधिकार
- (B) दायित्व
- (C) उत्तरदायित्व
- (D) कार्य
उत्तर: (C) उत्तरदायित्व
विस्तार: उत्तरदायित्व वह जिम्मेदारी होती है जिसे किसी व्यक्ति द्वारा सौंपा नहीं जा सकता। व्यक्ति अपने कार्यों और निर्णयों के लिए उत्तरदायी होता है और इसे किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं कर सकता। यह संगठनात्मक ढाँचे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1: व्यवस्थातंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर: व्यवस्थातंत्र एक ऐसा ढाँचा है जिसमें समान उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न व्यक्तियों के बीच अधिकार और दायित्व का समुचित वितरण किया जाता है। इसका उद्देश्य सामूहिक प्रयासों के माध्यम से उद्देश्यों की पूर्ति करना है। व्यवस्थातंत्र का मुख्य उद्देश्य संगठन में कार्यों और जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा करना होता है ताकि सभी सदस्य अपने-अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें। इसमें अधिकार, जिम्मेदारी, और संसाधनों का उचित बंटवारा शामिल होता है, जिससे समन्वय और नियंत्रण में सुधार होता है।
प्रश्न 2: अधिकार सौंपना किसे कहते हैं?
उत्तर: अधिकार सौंपना का मतलब है किसी कार्य को दूसरे व्यक्ति को सौंपना और उस कार्य को करने के लिए आवश्यक अधिकार प्रदान करना। अधिकार सौंपने की प्रक्रिया में, उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थ को किसी विशेष कार्य को पूरा करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ सौंपता है। इससे उच्च अधिकारी अपने कार्यभार को हल्का कर सकता है और अधीनस्थ को जिम्मेदारियों के साथ-साथ निर्णय लेने की शक्ति मिलती है। यह संगठन में कार्यप्रवाह को सुगम बनाता है और दक्षता में सुधार लाता है।
प्रश्न 3: अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर: अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र एक ऐसा ढाँचा है जो स्वतः स्फूर्त रूप से आन्तरिक सम्बन्धों के आधार पर बनता है और सामूहिक परिणामों में योगदान देने के लिए कार्य करता है। अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र में संगठन के सदस्य अपने आपसी संबंधों और व्यक्तिगत समीकरणों के आधार पर एक दूसरे के साथ काम करते हैं। यह औपचारिक व्यवस्थातंत्र से स्वतंत्र होता है और इसमें कार्यों का वितरण व्यक्तिगत संपर्कों और संबंधों के माध्यम से होता है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि यह लचीला होता है और जल्दी से बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ढल सकता है।
प्रश्न 4: श्रेणिक व्यवस्थातंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर: श्रेणिक व्यवस्थातंत्र वह प्रणाली है जिसमें दो भिन्न प्रकार के ढाँचे होते हैं: एक सामान्य क्रम का ढाँचा और दूसरा टेक्नीकल प्रश्नों के समाधान के लिए प्रोजेक्ट ढाँचा। इन दोनों ढाँचों के संयोजन से श्रेणिक व्यवस्थातंत्र का निर्माण होता है। श्रेणिक व्यवस्थातंत्र में एक सामान्य व्यवस्थात्मक ढाँचा होता है जो संगठन के निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा होता है। इसके साथ ही, एक विशेष प्रोजेक्ट ढाँचा होता है जो तकनीकी और परियोजना संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए होता है। इन दोनों को मिलाकर एक संयोजन बनता है जिससे संगठन में कुशलता और प्रभावशीलता बढ़ती है। इसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करना और सभी स्तरों पर समन्वय स्थापित करना है।
प्रश्न 5: दायित्व किसे कहते हैं?
उत्तर: दायित्व वह जिम्मेदारी है जो उच्च अधिकारी द्वारा किसी विशेष कार्य को पूरा करने के लिए अधीनस्थ को सौंपी जाती है। दायित्व का तात्पर्य है किसी कार्य को पूरा करने के लिए सौंपा गया कर्तव्य। यह जिम्मेदारी अधीनस्थ को दी जाती है ताकि वह अपने कार्यों को समय पर और सही तरीके से पूरा कर सके। दायित्व का महत्व इस बात में है कि यह सुनिश्चित करता है कि कार्य समय पर और अपेक्षित गुणवत्ता के साथ पूरा हो।
प्रश्न 6: उत्तरदायित्व से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: उत्तरदायित्व वह जिम्मेदारी है जिसके अंतर्गत उच्च अधिकारी को अधीनस्थों द्वारा किये गए कार्यों का स्पष्टीकरण देना होता है। यह सुनिश्चित करना कि अधिकारों का उचित उपयोग हुआ है और अपेक्षित परिणाम प्राप्त हुए हैं, उत्तरदायित्व कहलाता है। उत्तरदायित्व का तात्पर्य है कि उच्च अधिकारी यह सुनिश्चित करता है कि अधीनस्थों ने अपने कार्यों को सही तरीके से और संगठन की अपेक्षाओं के अनुरूप पूरा किया है या नहीं। इसमें यह देखना शामिल होता है कि दिए गए अधिकारों का सही उपयोग हुआ है या नहीं और क्या परिणाम संगठन की अपेक्षाओं के अनुरूप हैं। यह प्रक्रिया संगठन में जवाबदेही और पारदर्शिता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रश्न 7: किसको सौंपा नहीं जा सकता है?
उत्तर: उत्तरदायित्व को सौंपा नहीं जा सकता। उत्तरदायित्व वह जिम्मेदारी है जिसे किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। यह उच्च अधिकारी की वह अनिवार्य जिम्मेदारी होती है जिसके तहत उसे अपने अधीनस्थों के कार्यों के लिए जवाबदेह होना पड़ता है। इसे किसी और को सौंपने का कोई प्रावधान नहीं होता क्योंकि यह संगठन की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 8: भावी संचालक किसके माध्यम से तैयार हो सकते हैं?
उत्तर: विकेन्द्रीकरण के अंतर्गत, निर्णय लेने की शक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ संगठन के विभिन्न स्तरों में वितरित की जाती हैं। इससे निचले स्तर के प्रबंधकों और कर्मचारियों को अधिक जिम्मेदारियाँ और स्वतंत्रता मिलती है, जिससे वे भविष्य के संचालक बनने के लिए तैयार हो सकते हैं। यह प्रक्रिया नेतृत्व विकास और संगठन की दीर्घकालिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 9: केन्द्रीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर: जब किसी भी इकाई में समस्त सत्ता संचालक के पास ही केंद्रित हो तो उसे केन्द्रीकरण कहते हैं। केन्द्रीकरण में, निर्णय लेने की शक्ति और नियंत्रण संगठन के उच्चतम स्तर पर केंद्रीत होते हैं। इसमें सभी महत्वपूर्ण निर्णय शीर्ष प्रबंधन द्वारा लिए जाते हैं और निचले स्तर के कर्मचारियों का निर्णय लेने में सीमित भूमिका होती है। यह प्रणाली संगठन में निर्णय लेने की प्रक्रिया को केंद्रीकृत करती है और उच्चतम स्तर पर नियंत्रण बनाए रखती है।
प्रश्न 10: कार्यानुसार व्यवस्थातंत्र में किसको अधिक महत्त्व दिया जाता है?
उत्तर: कार्यानुसार व्यवस्थातंत्र में विभागों की अपेक्षा कार्यों पर अधिक जोर दिया जाता है। इसमें विभिन्न कार्यों और परियोजनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार प्रबंधन किया जाता है, जिससे कार्य की प्रभावशीलता और दक्षता बढ़ती है। यह प्रणाली संगठन में कार्य को प्राथमिकता देकर उसे समय पर और सही तरीके से पूरा करने पर जोर देती है।
प्रश्न 11: रैखीय व्यवस्थातंत्र में किसका महत्त्व होता है?
उत्तर: रैखीय व्यवस्थातंत्र में विभाग का महत्त्व होता है। रैखीय व्यवस्थातंत्र में संगठनात्मक संरचना सीधी रेखा में होती है, जिसमें प्रत्येक विभाग का एक निश्चित स्थान और भूमिका होती है। इसमें प्रत्येक विभाग के लिए एक स्पष्ट अधिकार और जिम्मेदारी की श्रृंखला होती है, जिससे विभागों के बीच स्पष्टता और समन्वय स्थापित होता है। यह प्रणाली विभागों के महत्व को बढ़ाती है और उन्हें अपने कार्यों को कुशलता से पूरा करने में सक्षम बनाती है।
प्रश्न 12: विशिष्टीकरण किसके द्वारा सम्भव बनता है?
उत्तर: कार्य के विभागीकरण के अंतर्गत, विभिन्न कार्यों को विशेष विभागों या व्यक्तियों को सौंपा जाता है, जिससे वे उस विशेष कार्य में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकें। यह प्रक्रिया दक्षता और गुणवत्ता को बढ़ाती है क्योंकि हर व्यक्ति या विभाग अपने विशिष्ट कार्य में निपुण हो जाता है। विभागीकरण के माध्यम से विशिष्टीकरण संगठन में कार्यों को अधिक प्रभावी और कुशलता से संपन्न करने में सहायक होता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1: ‘व्यवस्थातंत्र यह इकाई का शरीर है और आयोजन यह इनका प्राण है।’ समझाइए।
उत्तर: व्यवस्थातंत्र किसी इकाई का वह ढाँचा है जो इकाई के उद्देश्य की पूर्ति के लिए आवश्यक होता है। इसके अंतर्गत कर्मचारियों के मध्य कार्यों, अधिकारों, और दायित्वों का स्पष्ट विभाजन होता है। इस ढाँचे के बिना इकाई सही ढंग से कार्य नहीं कर सकती। आयोजन वह प्रक्रिया है जो उद्देश्यों को सिद्ध करने के लिए आवश्यक योजनाओं और व्यवस्थाओं को तैयार करती है। यह प्रक्रियाएँ इकाई के सफल संचालन के लिए आवश्यक हैं, जैसे कि प्राण शरीर के लिए आवश्यक होता है। संचालन में जो उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए योजनाएँ बनाई जाती हैं, उन्हें सही रूप से क्रियान्वित करने के लिए व्यवस्थातंत्र आवश्यक है। इसलिए, व्यवस्थातंत्र को इकाई का शरीर और आयोजन को उसका प्राण कहा जाता है।
प्रश्न 2: ‘अधिकार और दायित्व का विभाजन यह व्यवस्थातंत्र का आधार है।’ समझाइए।
उत्तर: अधिकार और दायित्व का विभाजन व्यवस्थातंत्र का मूल आधार है। यह विभाजन सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक कर्मचारी को उसके कार्य के अनुरूप अधिकार और जिम्मेदारियाँ प्रदान की जाएँ। अलग-अलग विभागों का निर्माण और उनके मध्य अधिकार और दायित्व का समुचित वितरण व्यवस्थातंत्र को प्रभावी बनाता है। यदि किसी कर्मचारी को आवश्यकता से अधिक अधिकार दिया जाए, तो वह इसका दुरुपयोग कर सकता है। दूसरी ओर, यदि दायित्व के अनुपात में अधिकार कम हो, तो कर्मचारी अपने कार्य को ठीक से नहीं कर पाएगा और असफल होगा। इसलिए, व्यवस्थातंत्र में अधिकार और दायित्व का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि सभी कार्य सही ढंग से और समय पर पूरे हो सकें।
प्रश्न 3: औपचारिक और अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र एक-दूसरे के पूरक हैं। समझाइए।
उत्तर: औपचारिक व्यवस्थातंत्र वह ढाँचा है जो संगठन के निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विधिवत रूप से तैयार किया जाता है। इसमें व्यक्ति और कार्य के मध्य संबंधों का स्पष्ट निर्धारण होता है। दूसरी ओर, अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र स्वतः स्फूर्त रूप से आंतरिक संबंधों पर आधारित होता है, जो कि कर्मचारियों के व्यक्तिगत संपर्कों और सामाजिक संबंधों से बनता है। यह संबंध औपचारिक ढाँचे के पूरक होते हैं और कार्यों की कुशलता को बढ़ाते हैं। औपचारिक व्यवस्थातंत्र में जहां हर कार्य का निश्चित प्रारूप होता है, वहीं अनौपचारिक ढाँचा लचीला होता है और आवश्यकतानुसार बदल सकता है। यह दोनों व्यवस्थाएँ मिलकर संगठन की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं और एक-दूसरे के पूरक होते हैं।
प्रश्न 4: श्रेणिक व्यवस्थातंत्र की मर्यादा क्या है?
उत्तर: श्रेणिक व्यवस्थातंत्र की मर्यादा निम्नलिखित हैं:
1. जितने प्रोजेक्ट होते हैं, उतने प्रोजेक्ट मैनेजर की नियुक्ति की जाती है, जिससे यह खर्चीली पद्धति होती है।
2. प्रोजेक्ट मैनेजर का दायित्व होता है कि वह प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करें।
3. प्रोजेक्ट कार्य के लिए आवश्यक विशेषज्ञ स्टाफ को अलग-अलग विभागों से प्राप्त करना पड़ता है।
4. कई बार आवश्यक विशेषज्ञ सर्वगुण सम्पन्न नहीं मिल पाते, जिससे कार्य की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।
5. श्रेणिक व्यवस्थातंत्र में सत्ता का प्रवाह दोहरा होता है, जिससे समन्वय में कठिनाई हो सकती है।
प्रश्न 5: विकेन्द्रीकरण कब सम्भव बनता है?
उत्तर: विकेन्द्रीकरण निम्न परिस्थितियों में सम्भव बनता है:
1. जब वृहद इकाइयों में व्यवस्थातंत्र अलग-अलग भागों में विभाजित हो।
2. जब इकाई में शीघ्र निर्णय लेने की आवश्यकता हो।
3. जब विशिष्टीकरण का लाभ लेने की आवश्यकता हो।
4. जब भावी संचालकों को तैयार करना हो।
5. जब उच्च स्तर के अधिकारियों के कार्यभार को कम करना हो।
6. जब संकलन, नियंत्रण, और योग्य सूचना संचार को अपनाना हो।
प्रश्न 6: निम्न विधान समझाइए।
1. संचालन की सफलता या निष्फलता का आधार अन्य परिबलों की तुलना में उसके व्यवस्थातंत्र पर अधिक है।
उत्तर: संचालन की सफलता या निष्फलता का मुख्य आधार उसके व्यवस्थातंत्र की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। यदि व्यवस्थातंत्र की योजना में खामियाँ होंगी, तो संचालन में मुश्किलें आएँगी। एक तर्कसंगत, स्पष्ट और आवश्यकताओं को पूरा करने वाला व्यवस्थातंत्र इकाई की सफलता सुनिश्चित करता है। इसलिए, औद्योगिक इकाई की सफलता का प्रमुख आधार उसका व्यवस्थातंत्र होता है।
2. व्यवस्थातंत्र ढाँचा भी है और प्रक्रिया भी है।
उत्तर: व्यवस्थातंत्र का ढाँचा संगठन के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए बनाया जाता है। यह ढाँचा सत्ता और जवाबदारी को सौंपने का कार्य करता है। इसके अंतर्गत कार्यों को विभिन्न प्रवृत्तियों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक प्रवृत्ति को कर्मचारियों और अधिकारियों को सौंपा जाता है। इस प्रक्रिया के लिए एक व्यवस्थित ढाँचे की आवश्यकता होती है, जिसे व्यवस्थातंत्र कहते हैं। इस प्रकार, व्यवस्थातंत्र एक ढाँचा भी है और एक प्रक्रिया भी।
3. अधिकार एवं दायित्व के बीच संतुलन व्यवस्थातंत्र का आधार है।
उत्तर: अधिकार और दायित्व के बीच संतुलन बनाए रखना व्यवस्थातंत्र का महत्वपूर्ण आधार है। यदि अधिकार और दायित्व के बीच समानता होती है, तो कार्य सुचारू रूप से चलते हैं। विभागीय अधिकारियों को सत्ताओं के साथ-साथ जिम्मेदारियाँ भी सौंपनी होती हैं। अगर सत्ता और जवाबदारी के बीच समानता नहीं होती, तो व्यवस्थातंत्र प्रभावी नहीं होता। इसलिए, सत्ता और जवाबदारी के बीच संतुलन सुनिश्चित करना आवश्यक है।
7. रैखिक व्यवस्था और कार्यानुसार व्यवस्थातंत्र के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
| रैखिक व्यवस्थातंत्र | कार्यानुसार व्यवस्थातंत्र |
|---|---|
| ( 1 ) रचना विभागीय खाताओं पर आधारित है। | ( 1 ) |
| ( 2 ) सत्ता का केंद्रीकरण होता है। | ( 2 ) |
| ( 3 ) आदेश की एकता रहती है। | ( 3 ) आदेश की एकता नहीं होती है। |
| ( 4 ) अनुशासन सही ढंग से किया जाता है। | ( 4 ) अनुशासन की पालन में मुश्किल होती है। |
| ( 5 ) विभागीय अधिकारी सत्ता और निर्णय के लिए स्वतंत्र हैं। | ( 5 ) अधिकारियों और विशेषज्ञों का संकलन होता है। |
| ( 6 ) श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण का लाभ नहीं मिलता है। | ( 6 ) श्रम विभाजन और विशिष्टीकरण का लाभ प्राप्त होता है। |
| ( 7 ) सफलता का आधार विभागीय अधिकारी के उपर है। | ( 7 ) सफलता का आधार विशेषज्ञों के बीच संकलन से है। |
8. आयोजन धंधे का विभाग है तो व्यवस्थातंत्र शरीर का ढाँचा है।
उत्तर: आयोजन किसी भी उद्योग की नीतियों और उद्देश्यों को निर्धारित करता है, जो मस्तिष्क की तरह कार्य करता है। दूसरी ओर, व्यवस्थातंत्र एक ढाँचे की तरह कार्य करता है जो इन नीतियों और उद्देश्यों को क्रियान्वित करता है। इस प्रकार, आयोजन धंधे का मस्तिष्क है और व्यवस्थातंत्र उसका शरीर है। आयोजन के द्वारा तैयार की गई नीतियों का पालन व्यवस्थातंत्र के माध्यम से होता है, जिससे दोनों एक-दूसरे के पूरक होते हैं।
9. अवैधिक (अनौपचारिक) व्यवस्थातंत्र वैधिक (औपचारिक) व्यवस्थातंत्र की प्रतिछाया है।
उत्तर: अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र, औपचारिक व्यवस्थातंत्र की प्रतिछाया है। औपचारिक व्यवस्थातंत्र वह ढाँचा है जिसमें कार्य और व्यक्ति के बीच संबंधों का स्पष्ट निर्धारण होता है। अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र में मानव संबंधों के आधार पर समूह बनते हैं और ये समूह औपचारिक ढाँचे के पूरक होते हैं। औपचारिक व्यवस्थातंत्र में ही अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र का उद्भव होता है, जिससे यह कहा जा सकता है कि अनौपचारिक व्यवस्थातंत्र, औपचारिक व्यवस्थातंत्र की प्रतिछाया है।
10. सत्ता सौंपना अधिकारियों के कार्य में कमी करता है जवाबदारी में नहीं।
उत्तर: सत्ता सौंपना उच्च अधिकारियों के कार्यभार को कम करता है, लेकिन उनकी जवाबदारी को नहीं। उच्च अधिकारी अपने सहायकों को कार्य और सत्ता सौंपकर अपने कार्य में कमी कर सकते हैं, परन्तु उनकी जवाबदारी बनी रहती है। वे अपने अधीनस्थों के कार्यों के लिए उत्तरदायी रहते हैं। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि व्यवस्थातंत्र में सत्ता को सौंपा जा सकता है, परन्तु जवाबदारी नहीं।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार में समजाइए।
प्रश्न 1: सत्ता, जवाबदारी एवं उत्तरदायित्व सत्ता सौंपने की प्रक्रिया के तीन आधारभूत स्तंभ हैं। समझाइए।
उत्तर: सत्ता सौंपना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें उच्च अधिकारी अपने सहायकों को कार्य और उसे पूरा करने के लिए आवश्यक अधिकार सौंपते हैं। यह प्रक्रिया तीन प्रमुख तत्वों पर आधारित है:
1. सत्ता (Authority): यह वह अधिकार है जो उच्च अधिकारी अपने सहायकों को प्रदान करते हैं ताकि वे कार्य को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें। यह अधिकार उन्हें निर्णय लेने और संसाधनों का उपयोग करने की स्वतंत्रता देता है।
2. जवाबदारी (Responsibility):यह वह दायित्व है जो सहायकों को सौंपे गए कार्य को पूरा करने के लिए निर्धारित किया जाता है। एक बार जब कार्य और अधिकार सौंप दिए जाते हैं, तो सहायकों को उस कार्य की जिम्मेदारी लेनी होती है।
3. उत्तरदायित्व (Accountability): यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सहायकों को उनके कार्यों और परिणामों के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है। उच्च अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके द्वारा सौंपे गए कार्य उचित रूप से पूरे हो रहे हैं।
इन तीन तत्वों को समान महत्व दिया जाता है और वे परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। जैसे एक तिपाई में तीनों पायों का समान महत्व होता है, वैसे ही सत्ता, जवाबदारी, और उत्तरदायित्व भी सत्ता सौंपने की प्रक्रिया के आवश्यक स्तंभ होते हैं।
प्रश्न 2: सत्ता सौंपना एवं विकेन्द्रीकरण के बीच सूक्ष्म भेद रेखा है। समझाइए।
उत्तर: सत्ता सौंपना और विकेन्द्रीकरण दोनों प्रबंधकीय प्रक्रियाएँ हैं जो संगठनात्मक दक्षता को बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती हैं, लेकिन दोनों के बीच एक सूक्ष्म भेद रेखा है:
1. सत्ता सौंपना (Delegation of Authority):** यह वह प्रक्रिया है जिसमें उच्च अधिकारी अपने सहायकों को कार्य और उसे पूरा करने के लिए आवश्यक अधिकार सौंपते हैं। इस प्रक्रिया में अधिकारी अपने अधीनस्थों को कार्य करने के लिए स्वतंत्रता और संसाधन प्रदान करते हैं, लेकिन स्वयं नियंत्रण और निरीक्षण बनाए रखते हैं।
2. विकेन्द्रीकरण (Decentralization): यह वह प्रक्रिया है जिसमें उच्च स्तर के अधिकारी अपने निर्णय लेने की शक्ति और अधिकार को निचले स्तर के कर्मचारियों को सौंपते हैं। विकेन्द्रीकरण में अधिकारी अपने सहायकों को अधिक स्वतंत्रता देते हैं ताकि वे निर्णय ले सकें और कार्य कर सकें।
सत्ता सौंपने और विकेन्द्रीकरण दोनों प्रक्रियाएँ संगठन की दक्षता और निर्णय लेने की गति को बढ़ाने के लिए होती हैं। सत्ता सौंपना सीमित दायरे में होता है और उच्च अधिकारी अपने सहायकों पर निरीक्षण और नियंत्रण बनाए रखते हैं। दूसरी ओर, विकेन्द्रीकरण में अधिक स्वतंत्रता और अधिकार निचले स्तर के कर्मचारियों को प्रदान किए जाते हैं। इस प्रकार, सत्ता सौंपने और विकेन्द्रीकरण के बीच बहुत पतली भेद रेखा है, लेकिन दोनों के उद्देश्य और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण अंतर होता है।
प्रश्न 4: केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण में अंतर बताइए कम से कम आठ मुद्दो में ।
उत्तर:
| केन्द्रीकरण | विकेंद्रीकरण |
|---|---|
| ( 1 ) सत्ता संचालक और उच्चस्तरीय अधिकारियों के पास संकलन होती है। | ( 1 ) |
| ( 2 ) निर्णय लेने की सत्ता एक ही व्यक्ति या संचालक के पास होती है। | ( 2 ) निर्णय लेने की सत्ता विभिन्न स्तरों के अधिकारियों के पास होती है। |
| ( 3 ) संचालन में सहायक निर्णय लेने में मुश्किल होती है। | ( 3 ) सहायक अधिकारियों का महत्व बढ़ता है और वे कार्यों में अक्षम नहीं होते। |
| ( 4 ) उच्चस्तरीय अधिकारियों में उत्साह की कमी हो सकती है। | ( 4 ) निर्णय लेने में उच्चस्तरीय अधिकारियों का सहायक अधिक उत्साही हो सकता है। |
| ( 5 ) अधिकारियों का कार्यबोध बढ़ सकता है। | ( 5 ) अधिकारियों का कार्यबोध कम होता है। |
| ( 6 ) निर्णय लेना सरल हो सकता है। | ( 6 ) विभाजन के कारण निर्णय लेना कठिन हो सकता है। |
| ( 7 ) उच्चस्तरीय अधिकारियों द्वारा महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं। | ( 7 ) संकलन के प्रश्नों का उत्पन्न होना सकता है। |
| ( 8 ) स्थिर व्यवस्थाओं में परिवर्तन की कमी होती है। | ( 8 ) |
प्रश्न 4: सत्ता एवं जवाबदारी के बीच समानता होनी चाहिए। समझाइए।
उत्तर: सत्ता और जवाबदारी के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है ताकि संगठनात्मक ढाँचा प्रभावी और कार्यक्षम हो सके। इस संतुलन के निम्नलिखित कारण हैं:
1. सत्ता के प्रमाण में जवाबदारी: सत्ता सौंपने का अर्थ है किसी कार्य को पूरा करने के लिए अधिकार प्रदान करना। इस अधिकार के साथ कार्य की जिम्मेदारी भी जुड़ी होती है। यदि किसी कर्मचारी को अधिकार दिए जाते हैं, तो उन्हें उन अधिकारों का सही उपयोग करते हुए कार्य को पूरा करना होता है।
2. सत्ता और जवाबदारी का संतुलन: यदि सत्ता और जवाबदारी के बीच असंतुलन होता है, तो संगठनात्मक ढाँचा कार्यक्षम नहीं रहेगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी को आवश्यकता से अधिक जवाबदारी दी जाती है लेकिन सत्ता नहीं दी जाती, तो वह कार्य को पूरा करने में असमर्थ रहेगा। इसके विपरीत, यदि जवाबदारी से अधिक सत्ता प्रदान की जाती है, तो सत्ता का दुरुपयोग हो सकता है।
3. सत्ता का दुरुपयोग: जब किसी कर्मचारी को अपेक्षा से अधिक सत्ता दी जाती है और जवाबदारी कम होती है, तो वह सत्ता का दुरुपयोग कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप संगठन की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी हो सकती है।
इसलिए, सत्ता और जवाबदारी के बीच समानता बनाए रखना आवश्यक है ताकि प्रत्येक कर्मचारी को कार्य करने की स्वतंत्रता और आवश्यक अधिकार मिल सकें और वे अपनी जिम्मेदारियों को उचित ढंग से पूरा कर सकें।
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