धन्धाकीय (व्यवसायिक) पर्यावरण वाणिजिक व्यवस्था और संचालन कक्षा 12 Hindi Medium
स्वाध्याय (exercise)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए ।
प्रश्न 1: औद्योगिक विकास और नियमन कानून किस वर्ष अस्तित्व में आया?
उत्तर: (A) 1951
व्याख्या: औद्योगिक विकास और नियमन कानून (Industrial Development and Regulation Act) 1951 में अस्तित्व में आया था। यह कानून भारत में औद्योगिक विकास को नियमन करने और उसे सही दिशा में संचालित करने के लिए लागू किया गया था।
प्रश्न 2: आवश्यक चीजवस्तुओं का कानून किस वर्ष अस्तित्व में आया?
उत्तर: (B) 1955
व्याख्या: आवश्यक चीजवस्तुओं का कानून (Essential Commodities Act) 1955 में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखना और उनकी कीमतों को नियंत्रित करना था ताकि आम जनता को जरूरी वस्तुएं उचित मूल्य पर मिल सकें।
प्रश्न 3: ट्रेडमार्क कानून किस वर्ष अस्तित्व में आया?
उत्तर: (C) 1969
व्याख्या: ट्रेडमार्क कानून (Trademark Act) 1969 में लागू किया गया था। यह कानून ट्रेडमार्क के पंजीकरण, संरक्षण और उल्लंघन के मामलों में कानूनी कार्रवाई के लिए लागू किया गया था।
प्रश्न 4: प्रमाणभूत वजन और माप कानून किस वर्ष अस्तित्व में आया?
उत्तर: (C) 1969
व्याख्या: प्रमाणभूत वजन और माप कानून (Standard Weights and Measures Act) 1969 में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य व्यापार में उपयोग होने वाले वजन और माप के मानकों को सुनिश्चित करना था।
प्रश्न 5: ग्राहक सुरक्षा कानून किस वर्ष से अस्तित्व में आया?
उत्तर: (D) 1986
व्याख्या: ग्राहक सुरक्षा कानून (Consumer Protection Act) 1986 में लागू किया गया था। यह कानून ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके शिकायतों का समाधान करने के उद्देश्य से लागू किया गया था।
प्रश्न 6: भारत में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का आरम्भ कौन से वर्ष से हुआ?
उत्तर: (B) 1991
व्याख्या: भारत में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (Liberalization, Privatization, and Globalization) का आरम्भ 1991 में हुआ था। यह कदम भारत की आर्थिक नीतियों में बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हुआ, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजार से जुड़ी।
प्रश्न 7: भारतीय चलन-रूपया को कौन-सी संज्ञा दी गई है?
उत्तर: (C) रु.
व्याख्या: भारतीय मुद्रा (Indian Currency) को 'रुपया' कहा जाता है और इसे संक्षेप में 'रु.' के रूप में लिखा जाता है।
प्रश्न 8: विदेशी पूँजी निवेश हेतु भारत में वर्तमान में कौन-सा कानून अस्तित्व में है?
उत्तर: (D) FEMA
व्याख्या: विदेशी पूँजी निवेश (Foreign Investment) के लिए भारत में वर्तमान में 'FEMA' (Foreign Exchange Management Act) कानून अस्तित्व में है। इसे 1999 में लागू किया गया था और यह FERA (Foreign Exchange Regulation Act) की जगह लागू हुआ था।
प्रश्न 9: इनमें से कौन-सा विकल्प निजीकरण का लाभ नहीं है?
उत्तर: (C) कर्मचारियों का शोषण
व्याख्या: निजीकरण (Privatization) का उद्देश्य कार्यक्षमता बढ़ाना, आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करना, और राजनैतिक दलगीरी का अभाव रखना है। कर्मचारियों का शोषण निजीकरण का लाभ नहीं है, बल्कि यह एक नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
प्रश्न 10: इनमें से कौन-सा विकल्प निजीकरण का लाभ है?
उत्तर: (D) गुणवत्तायुक्त वस्तु या सेवा का उत्पादन
व्याख्या: निजीकरण का मुख्य लाभ यह है कि यह गुणवत्तायुक्त वस्तु या सेवा के उत्पादन को बढ़ावा देता है। निजी कंपनियाँ प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में टिकने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ और उत्पाद प्रदान करने की कोशिश करती हैं।
2. निम्न प्रश्नों के उत्तर दो तीन वाक्यों में दीजिए ।
प्रश्न 1: धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के साथ संकलित तत्त्वो के नाम बताइए ?
उत्तर: धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण (Business Environment) में निम्नलिखित तत्त्व संकलित होते हैं:
1. आर्थिक (Economic)
2. सामाजिक (Social)
3. सांस्कृतिक (Cultural)
4. टेक्नोलोजिकल (Technological)
5. राजनैतिक (Political)
6. कानूनी (Legal)
प्रश्न 2: धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के साथ संकलित समूहों के नाम दीजिए ।
उत्तर: धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण (Business Environment) के साथ संकलित समूह निम्नलिखित हैं:
1. ग्राहक (Customers)
2. कर्मचारी (Employees)
3. स्पर्धी (Competitors)
4. माल प्रदान करने वाले (Suppliers)
प्रश्न 3: धन्धाकीय/व्यवसायिक तत्त्वों को मुख्यत: कितने एवं कौन-कौन से भागों में विभाजित किया गया है ?
उत्तर: धन्धाकीय/व्यवसायिक तत्त्वों (Business Elements) को मुख्यत: दो भागों में विभाजित किया गया है:
1. आन्तरिक तत्त्व (Internal Elements)
2. बाह्य तत्त्व (External Elements)
प्रश्न 4: धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के आन्तरिक तत्त्वों का नाम बताइये ।
उत्तर: धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के आन्तरिक तत्त्व (Internal Elements) निम्नलिखित हैं:
1. धन्धा के उद्देश्य (Business Objectives)
2. कर्मचारी (Employees)
3. संचालकीय ढाँचा (Managerial Structure)
प्रश्न 5: प्रति व्यक्ति में वृद्धि कब होती है ?
उत्तर: प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) में वृद्धि तब होती है जब आय वृद्धि की दर जनसंख्या वृद्धि की दर की तुलना में अधिक हो। अर्थात्, जिस प्रमाण में आय बढ़े उतने प्रमाण में यदि जनसंख्या में वृद्धि न हो तो प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है।
प्रश्न 6: मौद्रिक नीति में कौन-सी बातों का समावेश होता है ?
उत्तर: मौद्रिक नीति (Monetary Policy) में निम्नलिखित बातों का समावेश होता है:
1. ब्याज दर में परिवर्तन (Interest Rate Changes)
2. मुद्रा स्फीति की दर (Inflation Rate)
3. शान सर्जन (Credit Creation)
4. शान की प्राप्ति (Credit Supply)
प्रश्न 7: राजकोषीय नीति कौन-सी बातों के साथ संकलित है ?
उत्तर: राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) निम्नलिखित बातों के साथ संकलित है:
1. कर का ढाँचा (Tax Structure)
2. सरकारी खर्च (Government Expenditure)
प्रश्न 8: सांस्कृतिक तत्त्वों में कौन-सी बातों का समावेश होता है?
उत्तर: सांस्कृतिक तत्त्वों में निम्नलिखित बातों का समावेश होता है:
1. परम्परायें (Traditions): यह समाज की विरासत होती हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती हैं और लोगों के व्यवहार, सोच और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करती हैं।
2. रीति-रिवाज (Customs): ये ऐसे व्यवहार और गतिविधियाँ हैं जो समाज में स्वीकृत होती हैं और समय के साथ एक नियम के रूप में मान ली जाती हैं।
3. रहन-सहन की मान्यताएँ (Living Standards and Beliefs): इसमें लोगों के जीवन के तरीके, उनके रहन-सहन के मानक, और उनके विश्वास शामिल होते हैं, जो उनके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करते हैं।
4. आदतें (Habits): ये लोगों के रोजमर्रा के व्यवहार के नियमित रूप होते हैं, जो समाज में व्याप्त होते हैं और लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन जाते हैं।
प्रश्न 9: ग्राहक समझ सकें और सरलतापूर्वक उपयोग कर सके इसके लिए बैंको ने किसकी शुरूआत की है?
उत्तर: ग्राहकों की सुविधा और उनके लिए बैंकिंग सेवाओं को आसान बनाने के लिए बैंकों ने ई-बैंकिंग (E-Banking) और एम-बैंकिंग (M-Banking) की सेवा शुरू की है। ये सेवाएँ ग्राहकों को बैंकिंग कार्यों को आसानी से और सुरक्षित रूप से करने की सुविधा प्रदान करती हैं।
1. ई-बैंकिंग (E-Banking): इसमें ग्राहक इंटरनेट के माध्यम से अपने बैंक खातों को संचालित कर सकते हैं, पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं, बिल भुगतान कर सकते हैं, और कई अन्य बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
2. एम-बैंकिंग (M-Banking): यह सेवा मोबाइल फोन के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे ग्राहक अपने मोबाइल से ही बैंकिंग कार्य कर सकते हैं।
प्रश्न 10: E-Banking और M-Banking की सेवा का लाभ लेने के लिए क्या जरूरी है?
उत्तर: E-Banking और M-Banking की सेवाओं का लाभ लेने के लिए निम्नलिखित चीजें जरूरी हैं:
1. ई-बैंकिंग (E-Banking): इंटरनेट कनेक्शन वाला कंप्यूटर ई-बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने के लिए ग्राहक को एक ऐसा कंप्यूटर चाहिए जिसमें इंटरनेट कनेक्शन हो।
सुरक्षा जानकारी: ग्राहक को अपने बैंक से प्राप्त यूजर आईडी और पासवर्ड की जानकारी होनी चाहिए।
2. एम-बैंकिंग (M-Banking): इंटरनेट कनेक्शन वाला मोबाइल फोन: एम-बैंकिंग सेवाओं का लाभ लेने के लिए ग्राहक के पास इंटरनेट कनेक्शन वाला मोबाइल फोन होना चाहिए।
बैंक एप्लिकेशन: ग्राहक को अपने बैंक का मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड और इंस्टॉल करना होगा।
सरकारी खर्च के कारण आर्थिक प्रवृत्तियों पर कितना प्रभाव होता है?
उत्तर: सरकारी खर्च का आर्थिक प्रवृत्तियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह कई तरीकों से देखा जा सकता है:
1. आर्थिक विकास (Economic Growth): सरकारी खर्च से अवसंरचना, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होता है, जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है।
2. रोजगार सृजन (Employment Generation): सरकारी परियोजनाओं और योजनाओं में खर्च से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं, जिससे बेरोजगारी दर कम होती है।
3. मुद्रा स्फीति (Inflation): अगर सरकारी खर्च बहुत अधिक होता है तो यह मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है क्योंकि बाजार में पैसे की आपूर्ति बढ़ जाती है।
4. बजट घाटा (Budget Deficit): अत्यधिक सरकारी खर्च से बजट घाटा हो सकता है, जिससे सरकार को उधारी लेनी पड़ती है और यह भविष्य में आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
5. सामाजिक कल्याण (Social Welfare): सरकारी खर्च से समाज के वंचित और जरूरतमंद वर्गों को सहायता मिलती है, जिससे सामाजिक कल्याण और समानता में सुधार होता है।
निम्न प्रश्नों के उत्तर मुद्दे अनुसार दीजिए ।
प्रश्न 1: धन्धाकीय पर्यावरण का अर्थ बताकर उनको प्रभावित करने वाले तत्त्वों को नाम बताइये।
उत्तर: धन्धाकीय पर्यावरण (Business Environment) का अर्थ है वह वातावरण जिसमें किसी व्यवसाय का संचालन होता है। इसमें वे सभी आंतरिक और बाहरी तत्व शामिल होते हैं जो व्यवसाय के कार्यकलापों और निर्णयों को प्रभावित करते हैं। धन्धाकीय पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं:
1. आर्थिक तत्त्व (Economic Factors):
- राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय
- मौद्रिक नीति
- राजकोषीय नीति
- आर्थिक विकास की मात्रा
2. सामाजिक तत्त्व (Social Factors):
- समाज की संरचना और जनसांख्यिकी
- सामाजिक मूल्य और आस्थाएँ
- उपभोक्ता व्यवहार और जीवनशैली
3. सांस्कृतिक तत्त्व (Cultural Factors):
- परम्पराएँ और रीति-रिवाज
- रहन-सहन की मान्यताएँ
- सांस्कृतिक मानदंड और आदतें
4. तकनीकी तत्त्व (Technological Factors):
- तकनीकी नवाचार और विकास
- अनुसंधान एवं विकास (R&D)
- उत्पादन और वितरण तकनीक
5. राजनीतिक तत्त्व (Political Factors):
- सरकारी नीतियाँ और नियम
- राजनीतिक स्थिरता
- व्यापार कानून और विनियम
6. कानूनी तत्त्व (Legal Factors):
- व्यापारिक कानून और नियम
- उपभोक्ता संरक्षण कानून
- श्रम कानून और कराधान
इसके अलावा, धन्धाकीय पर्यावरण में कुछ प्रमुख समूह भी शामिल होते हैं, जैसे कि ग्राहक, कर्मचारी, स्पर्धी (Competitors), और माल प्रदान करने वाले (Suppliers)।
प्रश्न 2: धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण का निरन्तर अध्ययन क्यों जरूरी है?
उत्तर: धन्धाकीय पर्यावरण का निरन्तर अध्ययन निम्नलिखित कारणों से जरूरी है:
1. बदलाव की पहचान (Identifying Changes): व्यवसायिक पर्यावरण लगातार बदलता रहता है। इस बदलाव को पहचानने और समझने के लिए अध्ययन आवश्यक है। इससे व्यवसाय अपनी रणनीतियाँ समय के अनुसार बदल सकते हैं और प्रतिस्पर्धा में बने रह सकते हैं।
2. रणनीतिक योजना (Strategic Planning): पर्यावरण का अध्ययन करने से व्यवसाय अपनी दीर्घकालिक और अल्पकालिक रणनीतियों को प्रभावी ढंग से बना सकते हैं। यह उन्हें बाजार की मांग, उपभोक्ता व्यवहार, और नई तकनीकों के अनुसार योजना बनाने में मदद करता है।
3. जोखिम प्रबंधन (Risk Management): अध्ययन करने से व्यवसाय संभावित खतरों और अवसरों को पहचान सकते हैं और उनके लिए तैयारी कर सकते हैं। इससे जोखिम को कम करने और अवसरों का लाभ उठाने में मदद मिलती है।
4. प्रतिस्पर्धात्मक लाभ (Competitive Advantage): पर्यावरण का अध्ययन व्यवसाय को प्रतिस्पर्धियों से आगे रहने में मदद करता है। यह उन्हें नवीनतम रुझानों और बाजार के परिवर्तनों के अनुसार अपने उत्पादों और सेवाओं को अनुकूलित करने में सक्षम बनाता है।
उदाहरण के तौर पर, कम्प्यूटर के क्षेत्र में निरन्तर नये-नये सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर की खोज होती रहती है। इस क्षेत्र में स्थित लोगों को निरन्तर अध्ययन करना पड़ता है ताकि वे नवीनतम तकनीकों और उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। इससे कम्प्यूटर क्षेत्र के धन्धे का विकास निरन्तर होता रहता है।
प्रश्न 3: धंधाकीय पर्यावरण को प्रभावित करने वाले आर्थिक परिबल/तत्त्व का अर्थ बताकर इसमें समाविष्ट बातों की मात्र सूची बताइये।
उत्तर: आर्थिक तत्त्व (Economic Factors) का अर्थ है वे आर्थिक विशेषताएँ और सीमाएँ जो किसी समाज या देश के धन्धाकीय निर्णयों को प्रभावित करती हैं। धन्धे के विकास का स्वरूप अधिकांशतः आर्थिक मामलों पर आधारित होता है।
आर्थिक तत्त्वों में निम्नलिखित बातों का समावेश होता है:
1. आर्थिक पद्धति (Economic System):
- देश की आर्थिक प्रणाली जैसे कि पूंजीवादी, समाजवादी, या मिश्रित अर्थव्यवस्था।
2. आर्थिक विकास की मात्रा (Rate of Economic Growth):
- देश के आर्थिक विकास की दर और उसकी स्थिरता।
3. क्षेत्रीय विकास और अन्तरक्षेत्रीय संमिश्रण (Regional Development and Inter-sectoral Mix):
- विभिन्न क्षेत्रों का विकास और उनके बीच का समन्वय।
4. राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय (National Income and Per Capita Income):
- देश की कुल आय और प्रति व्यक्ति आय की स्थिति।
5. राष्ट्रीय आय का वितरण (Distribution of National Income):
- राष्ट्रीय आय का विभाजन और उसका समाज के विभिन्न वर्गों में वितरण।
6. मौद्रिक नीति (Monetary Policy):
- केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित ब्याज दरें, मुद्रा आपूर्ति और अन्य मौद्रिक उपाय।
7. राजकोषीय नीति (Fiscal Policy):
- सरकारी खर्च और कराधान नीतियाँ।
8. अन्य तत्त्व (Other Factors):
- जैसे कि विदेशी व्यापार नीतियाँ, निवेश के अवसर, और आर्थिक नियम एवं विनियम।
प्रश्न 4: धन्धाकीय पर्यावरण का सामाजिक तत्त्व के बारे में समझाइए।
उत्तर:
धन्धाकीय पर्यावरण का सामाजिक तत्त्व (Social Factor): धन्धाकीय पर्यावरण में सामाजिक तत्त्वों का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि किसी भी धन्धाकीय प्रवृत्ति का सृजन, वृद्धि और अन्त समाज में ही होता है। व्यवसाय और समाज का अटूट संबंध होता है, और दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। समाज का अर्थ मानव समुदाय, सामाजिक संस्थाएँ, सामाजिक परम्पराएँ और जीवनशैली से है। समाज निरन्तर गतिशील होता है, और इसके साथ धन्धाकीय तत्त्व भी प्रभावित होते हैं।
सामाजिक तत्त्वों का प्रभाव:
1. परम्पराएँ और रीति-रिवाज:
- समाज की परम्पराएँ और रीति-रिवाज धन्धाकीय निर्णयों और रणनीतियों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में त्योहारों के समय विभिन्न उत्पादों की माँग बढ़ जाती है, जो व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण है।
2. रहन-सहन और जीवनशैल:
- समाज की जीवनशैली और रहन-सहन के तरीके भी व्यवसाय पर प्रभाव डालते हैं। जैसे कि शहरीकरण बढ़ने के साथ ही लोग तेजी से आधुनिक जीवनशैली को अपनाते हैं, जिससे विभिन्न उत्पादों और सेवाओं की माँग में परिवर्तन होता है।
3. शिक्षा और ज्ञान का स्तर:
- समाज में शिक्षा और ज्ञान का स्तर भी व्यवसायिक प्रवृत्तियों को प्रभावित करता है। शिक्षित समाज में उत्पादों और सेवाओं के प्रति जागरूकता अधिक होती है, जिससे गुणवत्ता और नवाचार पर अधिक जोर दिया जाता है।
4. जनसांख्यिकी:
- समाज की जनसांख्यिकी विशेषताएँ जैसे कि आयु, लिंग, जनसंख्या वृद्धि दर, आदि भी व्यवसायिक गतिविधियों को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, युवा आबादी की अधिकता वाले समाज में फैशन और टेक्नोलॉजी उत्पादों की माँग अधिक हो सकती है।
5. सामाजिक मूल्य और आस्थाएँ:
- समाज के मूल्य और आस्थाएँ भी व्यवसाय पर असर डालते हैं। नैतिकता, धर्म और सांस्कृतिक मान्यताएँ उत्पादों और सेवाओं की स्वीकृति को प्रभावित करती हैं।
उदाहरण: किसी देश में यदि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, तो स्वास्थ्य और फिटनेस से संबंधित उत्पादों और सेवाओं की माँग में वृद्धि होगी। इसी प्रकार, यदि समाज में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, तो पर्यावरण मित्र उत्पादों की माँग बढ़ेगी।
समाज के इन तत्त्वों का निरंतर अध्ययन और उनके अनुसार व्यवसायिक रणनीतियों का निर्माण व्यवसाय की सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। व्यवसाय को समाज के साथ तालमेल बिठाना होता है, और इसके लिए सामाजिक तत्त्वों का गहन विश्लेषण आवश्यक है।
प्रश्न 5: धन्धाकीय पर्यावरण का राजकीय तत्त्व अर्थात क्या?
उत्तर: धन्धाकीय पर्यावरण का राजकीय/राजनीतिक तत्त्व (Political Factor) –
राजकीय तत्त्वों का व्यवसाय पर गहरा प्रभाव होता है। इसमें सरकार के साथ जुड़े विभिन्न तत्त्व और उस राजनीतिक दल की आर्थिक विचारधारा शामिल होती है जो सत्ता में होती है। ये तत्त्व निम्नलिखित हैं:
1. सरकार की नीतियाँ और विधियाँ:- सरकार द्वारा बनाए गए नियम, कानून और नीतियाँ व्यवसायिक गतिविधियों को सीधा प्रभावित करती हैं। इनमें उद्योग नीति, व्यापार नीति, कर नीति आदि शामिल हैं।
2. सरकार का उद्योगों के प्रति रुझान:- सरकार का उद्योगों के प्रति दृष्टिकोण और व्यवहार भी व्यवसायिक तत्त्वों को प्रभावित करता है। सरकार की सहायता, सब्सिडी, और प्रोत्साहन योजनाएँ उद्योगों की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
3. राजनीतिक स्थिरता:- किसी देश या राज्य में राजनीतिक स्थिरता व्यवसायिक वातावरण को प्रभावित करती है। स्थिर सरकार व्यापार और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है।
4. हित समूहों का प्रभाव:- विभिन्न हित समूहों द्वारा किए गए प्रचार और दबाव भी व्यवसायिक निर्णयों को प्रभावित करते हैं। ये समूह विभिन्न व्यापार संघों, उद्योग निकायों आदि के रूप में हो सकते हैं।
5. सरकार की सक्रियता:- सरकार की नियम बनाने और उनके कार्यान्वयन में सक्रियता भी एक महत्वपूर्ण राजकीय तत्त्व है। यह व्यवसायिक गतिविधियों की पारदर्शिता और सुगमता को बढ़ाता है।
राजकीय तत्त्वों का सही अध्ययन और विश्लेषण व्यवसाय की सफलता और विकास के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 6: उदारीकरण का अर्थ बताइये।
उत्तर: उदारीकरण का अर्थ है व्यापार और धन्धा के लिए नियंत्रित अर्थतंत्र के मार्ग छोड़कर उन्हें स्वतंत्रता के मार्ग पर प्रगति करने का अवसर प्रदान करना। इसमें निम्नलिखित बातों का समावेश होता है:
1. नियंत्रणों का कम होना:- सरकार द्वारा व्यापार और उद्योगों पर लगाए गए विभिन्न नियंत्रणों को क्रमशः कम करना या समाप्त करना।
2. स्वतंत्र व्यापार:- व्यापारिक गतिविधियों के लिए खुली और प्रतिस्पर्धात्मक नीति अपनाना, जिससे व्यापार में वृद्धि हो सके।
3. विदेशी निवेश को प्रोत्साहन:- विदेशी निवेश को बढ़ावा देना और उसमें आने वाली बाधाओं को दूर करना।
उदारीकरण के परिणामस्वरूप व्यापार और उद्योगों में नवाचार और प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे आर्थिक विकास की गति तेज होती है।
प्रश्न 7: निजीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर: निजीकरण का अर्थ है सार्वजनिक साहसों का संचालन और मालिकी निजी व्यक्ति अथवा निजी कंपनियों को सौंपने की प्रक्रिया। इसमें निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं:
1. सार्वजनिक से निजी:- सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों को निजी हाथों में सौंपना।
2. प्रभावशीलता और उत्पादकता:- निजी क्षेत्र में अधिक प्रभावशीलता और उत्पादकता की अपेक्षा होती है, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में सुधार होता है।
3. प्रतिस्पर्धात्मक माहौल:- निजीकरण से प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनता है, जिससे गुणवत्ता और सेवा में सुधार होता है।
प्रश्न 8: वैश्वीकरण का महत्त्व क्यों है
उत्तर: वैश्वीकरण (Globalisation) का महत्त्व निम्नलिखित कारणों से है:
1. सेवा क्षेत्र का विकास:- वैश्वीकरण के कारण बैंकिंग, बीमा, परिवहन, संदेश व्यवहार आदि सेवा क्षेत्रों का तीव्र विकास हुआ है। इन सेवाओं को अब विश्व के विभिन्न देशों में पहुँचाया जा सकता है।
2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार:- वैश्वीकरण से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का विस्तार हुआ है, जिससे देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हुए हैं।
3. तकनीकी और ज्ञान का आदान-प्रदान:- वैश्वीकरण से तकनीकी और ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ा है, जिससे विभिन्न देशों के उद्योगों और व्यापार को लाभ हुआ है।
4. वैश्विक बाजार:- वैश्वीकरण के कारण समग्र विश्व एक गाँव (Global Village) बना है। इसका अर्थ है कि अब व्यापारी अपने उत्पाद और सेवाएँ विश्वभर में बेच सकते हैं, जिससे व्यापारिक अवसरों का विस्तार होता है।
5. भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:- भारत भी वैश्वीकरण का महत्त्वपूर्ण भाग बन गया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाने का अवसर मिला है। वैश्वीकरण के कारण व्यापारिक वातावरण में सुधार और आर्थिक विकास की गति बढ़ी है, जिससे संपूर्ण विश्व को लाभ हुआ है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के मुद्दासर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1: धन्धाकीय पर्यावरण का अर्थ समझाकर इनका महत्त्व स्पष्ट कीजिए
उत्तर: धन्धाकीय पर्यावरण (Business Environment) उन विभिन्न समूहों का समग्र है जो धन्धाकीय इकाई को प्रभावित करते हैं। इसमें आर्थिक, सामाजिक, राजकीय, कानूनी, और तकनीकी तत्त्व शामिल होते हैं। धन्धाकीय पर्यावरण का मुख्य कार्य धन्धाकीय गतिविधियों को संचालित करने और उन्हें प्रभावित करने का होता है।आर्थर एम. विमर के अनुसार, "धन्धाकीय पर्यावरण आर्थिक, सामाजिक, राजकीय, कानूनी और तकनीकी परिबलों का समूह है, जिससे धन्धाकीय प्रवृत्ति संचालित होती है।" यह पर्यावरण धन्धाकीय इकाइयों के संचालकों को विभिन्न तत्त्वों को ध्यान में रखते हुए धन्धे का संचालन करने में मदद करता है। उदाहरण के तौर पर, 1986 में ग्राहक सुरक्षा अधिनियम (Consumer Protection Act) के अमल में आने के बाद, व्यवसायिक इकाइयों ने ग्राहकों को उचित सेवाएँ प्रदान करने का निर्णय लिया, जिससे ग्राहकों का शोषण कम हुआ और उन्हें उचित लाभ प्राप्त हुआ।
धन्धाकीय पर्यावरण का महत्त्व (उपयोगिता):
I. लाभ के अवसर का सृजन: धन्धाकीय पर्यावरण विभिन्न लाभ के अवसर उत्पन्न करता है। जो संचालक इन अवसरों को ध्यान में रखते हुए कार्य करते हैं, वे स्पर्धात्मकता में आगे रहते हैं और अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, लोहे के बजाय फाइबर सामग्री का उपयोग वाहनों में करने से वाहन निर्माता कंपनियाँ अधिक लाभ कमा सकती हैं।
II. महत्त्वपूर्ण निर्णय लेना अथवा संचालकों की संवेदनशीलता: धन्धाकीय पर्यावरण धन्धे की सफलता के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सहायक होता है। उचित निर्णय लेने से धन्धे का विकास और प्रगति सुनिश्चित होती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी वस्तु की माँग बाजार में कम होती है, तो उत्पादक वैकल्पिक उत्पाद का उत्पादन करके ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।
III. नीति विषय निर्णय लेने में आधार रूप पर्यावरण की पहचान: धन्धाकीय नीतियों की रचना, पालन और उनकी सफलता-असफलता का मूल्यांकन किया जा सकता है, जिससे भविष्य के लिए योजना बनाई जा सकती है। उदाहरण के लिए, भारत में पर्यटन उद्योग एक विशाल उद्योग है, परन्तु समग्र विश्व की तुलना में भारत का स्थान अभी भी पीछे है। अतः कंपनियाँ नीतिगत निर्णय लेकर विभिन्न स्थानों पर होटलों की स्थापना करके इस अंतर को कम कर सकती हैं।
IV. सतत अध्ययन हेतु पर्यावरण: धन्धाकीय पर्यावरण नए-नए पहलुओं के अध्ययन हेतु आधार प्रदान करता है। नवीनतम तकनीकों का अध्ययन करके यदि इकाई उन्हें अपनाती है, तो वह विकास और लाभ के अवसर प्राप्त कर सकती है। जैसे कम्प्यूटर क्षेत्र में लगातार नई तकनीकें आती रहती हैं, उनका अध्ययन और उपयोग धन्धे की सफलता में योगदान देता है।
V. हानिकारक जोखिमों से बचने के लिए: धन्धाकीय पर्यावरण आंतरिक और बाह्य परिबलों का विचार करता है, जिससे इकाई को भविष्य में होने वाले नुकसान का अध्ययन किया जा सकता है। इसके द्वारा संचालक इकाई और पर्यावरण के बीच सामंजस्य बनाए रख सकते हैं।
VI. पूँजी विनिमय के निर्णय हेतु:धन्धाकीय पर्यावरण के परिबलों का अध्ययन करने से यह निर्णय लिया जा सकता है कि पूँजी का विनियोग कहाँ और कैसे करना है। जैसे स्थिर पूँजी, कार्यशील पूँजी, सार्वजनिक बचत, ऋणपत्र, प्रेफेरेन्स शेयर आदि के प्राप्ति स्थान और उनके विनियोग की जानकारी धन्धाकीय पर्यावरण के अध्ययन से प्राप्त होती है।
VII. भय स्थानों की पहचान: धन्धाकीय पर्यावरण में कई भय स्थान होते हैं, जैसे किसी उत्पाद या सेवा को ग्राहक एक समय के बाद स्वीकार नहीं करते। ऐसे भय स्थानों की पहचान होने से धन्धे में आवश्यक परिवर्तन किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में रेडियो की लोकप्रियता शुरुआती वर्षों में बहुत अधिक थी, लेकिन रंगीन टेलीविजन के आने से रेडियो का महत्त्व घटने लगा। परन्तु FM रेडियो की सेवा द्वारा रेडियो की लोकप्रियता फिर से बढ़ाई गई।
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